रूप दुर्गापाल टेलीविजन के रुपहले परदे की जानी-मानी अदाकारा हैं. मूल रूप से अल्मोड़ा की रहने वाली रूप दुर्गापाल ने अपनी प्रतिभा के दम पर बहुत कम समय में अभिनय की दुनिया में अच्छा नाम बनाया है... Read more
शाहजहाँ के राज्याभिषेक का समय था भारत के बड़े-बड़े राजा उसके दरबार में नतमस्तक होने गए थे लेकिन गढ़वाल के स्वाभिमानी राजा महीपतिशाह राज्याभिषेक में सम्मिलित न हुए. शाहजहाँ तभी से महीपतिशाह के प... Read more
मल्टीनेशनल नौकरी छोड़ कर पहाड़ लौटे इस युवक ने मिसाल कायम की युवाओं के लिए
[जल्द ही उत्तराखण्ड स्थापना दिवस आने वाला है. इस अवसर पर हम देश-दुनिया में रह रहे उत्तराखण्ड के उद्यमी युवाओं पर एक विशेष श्रृंखला शुरू कर रहे हैं जिन्होंने अपने हौसलों और परिश्रम से बड़ी उपल... Read more
‘आई एम पहाड़ी’ टी-शर्ट के पीछे मेहनत करने वाले उत्तराखंड के युवा रमन शैली को जानिये
एक पहाड़ी ऐसा भी जहाँ एक तरफ पहाड़ का युवा शहरों की तेज़ तर्रार भागती ज़िन्दगी का दीवाना है वहीं दूसरी तरफ 6 साल तक बैंगलोर में रहने के बाद भी इंजीनियर का तमगा छोड़ एक पहाड़ी युवा ने पहाड़ो... Read more
किसी शहर के भविष्य का आधार उसका युवा होता है. एक ऐसे समय जब पूरे विश्व भर में युवाओं को पर्यावरण संरक्षण के नाम पर भाषण पिलाया जा रहा है उस समय पिथौरागढ़ में युवाओं का एक समूह ‘हरेला... Read more
गंगोलीहाट की डॉ. सविता जोशी जो गुड़गांव में गेरु और बिस्वार से ऐपण बना कर देश और दुनिया में अपनी संस्कृति को लोकप्रिय बना रही हैं
ऐपण हमारी परवरिश का एक हिस्सा रहा है जो बाद में केवल महिलाओं और लड़कियों तक सीमित रह गया. ऐपण का मतलब है लीपना. लीप शब्द का अर्थ है अंगुलियों से रंगने से है. गेरु की पृष्ठभूमि पर बिस्वार अथवा... Read more
हल्द्वानी ब्लॉक की पनियाली ग्राम सभा से मात्र 21 साल 3 महीने की उम्र में ग्राम प्रधान का चुनाव जीतकर रागिनी आर्या ने नया इतिहास रचा है. रागिनी आर्य सबसे कम उम्र की जनप्रतिनिधि बनी हैं. (Youn... Read more
अलविदा सुरेन्द्र पुंडीर भैजी
लिखा-पढ़ी से जुड़ा उत्तराखण्ड में कौन होगा जो इस शख़्स को नहीं जानता होगा. साहित्य-संस्कृति-पत्रकारिता का कोई भी आयोजन हो पुंडीर भाई खोली के गणेश की तरह सबसे पहले स्थापित हो जाते थे. बल्कि... Read more
शुरुआती जीवन नौटी गांव से दो किमी की दूरी पर बैनोली नाम का एक गांव है मेरा जन्म वहीं हुआ था. मेरी शिक्षा दीक्षा भी उसी गांव में हुई. मैंने आठ तक वहीँ पढ़ा. मेरे पिताजी (त्रिलोक सिंह र... Read more
बहुत कम लोग होते हैं जो जीवन भर अपनी जड़ों से जुड़े रहते हैं. खास तौर से तब,जब कोई फर्श से अर्श तक का सफर तय कर लेता है और नाम शोहरत दोनों कमा लेता है. ऐसा ही एक नाम है रेसलिंग की दुनिया में... Read more