जो तेरा गवर्नर, वो मेरा डिप्टी होता है यादों में लगभग 30 – 32 साल पीछे लौट जाऐं तो बहुत सी स्मृतियाँ लौट आती हैं और कभी फुर्सत हो जाय तो लिखने का मन भी करता है. बचपन में हमारे घर में ए... Read more
अल्मोड़े में नन्दा देवी कौतिक की तस्वीरें
कुछ दिन पहले हमने आपको अल्मोड़े के नन्दा देवी कौतिक के पहले दिन की तस्वीरें दिखाई थी. आज अल्मोड़े के नन्दा देवी कौतिक की कुछ और अद्भुत तस्वीरें देखिये. आज भी नंदादेवी कौतिक की कुछ अद्भुत तस्वी... Read more
भवाली में नन्दा सुनन्दा का डोला
पूरे उत्तराखंड में इन दिनों नन्दा सुनन्दा की आराधना की जा रही है. नंदा कुमाऊं, गढ़वाल और हिमालय के अन्य भागों में जन सामान्य की लोकप्रिय देवी हैं. नन्दा देवी उत्तराखंड के लोगों की कुलदेवी मा... Read more
फाग : मंगल संस्कारों में गाये जाने वाले गीत
‘फाग’ कुमाऊं में विभिन्न संस्कारों के अवसर पर गाये जाने वाले मंगलगीत हैं. इन्हें ‘शकुनगीत’ भी कहा जाता है. ओधान, पुत्र-जन्म, षष्ठी, नामकरण, व्रतबंध, विवाह आदि विभिन्न... Read more
अल्मोड़ा के नन्दा कौतिक की ताजा तस्वीरें
आज से अल्मोड़ा ने नन्दा देवी मंदिर में कौतिक शुरु हो गया है. आज विभिन्न स्कूलों के बच्चों की झांकियों के साथ मेले शुरुआत हुई. (Photos of Nanda Devi Fair in Almora 2019) स्कूल के बच्चों की इन... Read more
जटिया मसाण और गोलू देवता की कथा
उत्तराखण्ड के सर्वाधिक पूज्य देवता गोलू के साथ जटिया मर्दन की गाथा भी जुड़ी हुई है. जनश्रुति के अनुसार उस समय चम्पावत गढ़ी में अत्यंत न्यायप्रिय राजा नागनाथ का शासन हुआ करता था. वृद्ध हो जान... Read more
घुइयां का कुमाऊनी में अर्थ
कुमाऊ में घुइयां का अर्थ अरबी से है लेकिन क्या आप उस घुइयां के बारे में जानते हैं जो जमीन और सूप के बाहरी हिस्से पर बनाई जाती है. सूप बांस का बना एक घरेलू उपकरण है. उत्तराखंड के लगभग सभी घरो... Read more
चार वीर महर भाई और हिलजात्रा की कथा
आज पिथौरागढ़ जिले कुमौड़ गांव में हिलजात्रा का उत्सव मनाया जा रहा है. कुमौड़ की हिलजात्रा का मुख्य पात्र लखियाभूत या लखियादेव है. हिलजात्रा कैसे कुमौड़ गांव में शुरू की गयी इसके विषय में चार... Read more
आज है पिथौरागढ़ के कुमौड़ गांव में हिलजात्रा
पिथौरागढ़ के कुमौड़ गांव में आज शाम हिलजात्रा का आयोजन किया जायेगा. हिलजात्रा पिथौरागढ़ में प्रत्येक वर्ष आयोजित होने वाला एक कृषि उत्सव है. इसमें कोई बैल की जोड़ी बनता है, कोई हलिया बनता है... Read more
पितृ पक्ष निकट है और सनातनी समाज में इस अवसर पर अपने पितरों की तृप्ति के लिए तर्पण एवं श्राद्ध का विधान है. देश के उत्तर से दक्षिण तक तथा पूरब से पश्चिम तक इस परम्परा का पालन हर हिन्दू समाज... Read more