भारत के रॉबिनहुड सुल्ताना डाकू की कहानी
सुल्ताना को परिवार सहित कैद कर दिया गया था सुल्ताना डाकू का नाम सभी हम सभी जानते हैं. सुल्ताना भारतीय दंत कथाओं का पात्र बन चुका है. सुल्ताना के किस्से पीढ़ी-दर-पीढ़ी कहे जाते रहे हैं. सुल्तान... Read more
गंगोलीहाट का इतिहास
बागेश्वर से नीचे सरयू और पूर्वी रामगंगा के नीचे गंगोली रमणीय भू-प्रदेश है. इसके बारे में कविवर गुमानी ने कुमाऊनी भाषा में लिखा है:(History of Gangolihat Pithoragarh) केला, निम्बू, अखोड़, दाड... Read more
-मनीष आज़ाद हिरोशिमा, शिन और उसकी तिपहिया साइकिल हिरोशिमा पर परमाणु बम गिरने के ठीक 4 दिन पहले शिन को उसके तीसरे जन्मदिन पर चटक लाल रंग की तिपहिया साइकिल उसके चाचा ने दी थी. उस समय बच्चों के... Read more
वर्तमान में अपने शौर्य और पराक्रम के लिए पहचानी जाने वाली कुमाऊँ रेजिमेंट की 21 बटालियनें हिन्दुस्तान की सीमाओं की सुरक्षा में जुटी हैं. 1788 में नवाब सलावत खां की सैन्य टुकड़ी के रूप में स्... Read more
भाबर के इलाके वास्तव में पहाड़ियों की ही भूमि है
एक समय ऐसा भी था जब कुमाऊं में भाबर की जमीन पहाड़ियों की हुआ करती थी. पहाड़ में रहने वाले लोगों की भाबर में स्थित इन जमीनों में उनके स्थायी और अस्थायी दोनों तरह के घर हुआ करते थे. नवम्बर से... Read more
‘झूलाघाट’ की कहानी
अल्मोड़ा-झूलाघाट अश्व-मार्ग/पैदल मार्ग का अंतिम पड़ाव सीमान्त क़स्बा झूलाघाट था. 1829 में ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा बनवाये गए झूलापुल के आर-पार नदी किनारे कोई बस्ती नहीं थी. भारतीय क्षेत्र मे... Read more
रूस दौरे से लौटने पर नेहरू में क्यों जगी ‘कण्वाश्रम’ को जानने की जिज्ञासा
अंग्रेजी हुकूमत से भारत को आजादी मिलने के बाद वर्ष 1955 में रूस दौरे पर गए भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने जब रूस में महर्षि कण्व ऋषि की तपस्थली और चक्रवर्ती सम्राट भर... Read more
सूर्य भगवान की मूर्ति किसी धातु या पत्थर से निर्मित नहीं है बल्कि यह मूर्ति बड़ के पेड़ की लकड़ी से बनी है. लाल वर्ण, सात घोड़ों के रथ में सवार भगवान सूर्य देव को सर्वप्रेरक, सर्व प्रकाशक, स... Read more
उत्तराखण्ड में सिक्कों की छपाई का इतिहास
उत्तराखण्ड के गढ़वाल मंडल का श्रीनगर शहर मध्यकाल से ही सिक्कों के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध रहा था. उस समय इन सिक्कों को ‘टिमाशास’ कहा जाता था. जब-जब नेपाल या लद्दाख़ के रास्ते तिब्बत के साथ ह... Read more
कमला कांड : 1989 में जब हल्द्वानी दहल उठा था
6 सितम्बर 1989 का दिन भी हल्द्वानी में एक दुखद घटना वाला दिन रहा. दरअसल इस घटना के पीछे पुलिस के प्रति आम जनता का छिपा आक्रोश था जो पूरे कुमाऊं अंचल में छा गया पुलिस चौकियों-थानों में आगजनी,... Read more