(23 साल की उम्र में देश की आज़ादी के लिए शहादत देने वाले भगत सिंह ने तब तक इतना कुछ लिख दिया था जो आज भी रौशनी देता है. ब्रिटिश भारत में होने वाले दंगों के बारे में यह लेख भगत सिंह ने 1928 मे... Read more
वीजा के लिए इंतजार : अमेरिकी विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में शामिल आंबेडकर की जीवनी का हिस्सा
विदेश में लोगों को छुआछूत के बारे में पता तो है लेकिन इससे वास्तविक सामना नहीं पड़ने के कारण वे यह नहीं जान सकते कि दरअसल यह प्रथा कितनी दमनकारी है. उनके लिए यह समझ पाना मुश्किल है कि बड़ी स... Read more
उत्तराखण्ड में वर्तमान शिक्षा प्रणाली का पहला स्कूल 1840 में श्रीनगर में खुला
1823 में ट्रेल ने लिखा — यहां सार्वजनिक स्कूलों जैसी कोई संस्था नहीं है. व्यक्तिगत तौर पर होने वाली पढ़ाई-लिखाई भी उच्च वर्ग के कुछ ही लोगों तक सीमित है. इन लोगों को ब्राह्मण शिक्षकों द्वारा... Read more
ब्रिटिश कुमाऊं में औषधीय खेती की शुरुआत
नौर्मन गिल ने बैलाडोना की खेती 1910 से ही शुरू कर दी थी. उस समय बैलाडोना का (एटरोपा बैलाडोना), की खेती, स्थानीय हकीम औषधि के लिये थे. इसके बीज को मई में बोने से जुलाई में 12 फीट ऊँचा पौधा मि... Read more
चौबटिया के ‘चहाबगिच’
अंग्रेजों को कुमाऊं और गढ़वाल की जलवायु, प्राकृतिक रचना, वनस्पति आदि अपने देश की जैसी लगी सो अंग्रेजों ने अपनी पलटन और उनके परिवारों के ग्रीष्मकालीन आवास हेतु स्थान चयन के लिए मेजर लेंग को क... Read more
नैनीताल जिले के महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल : घूमने आयें तो इन जगहों पर जरूर जाएँ
कुमाऊँ क्षेत्र में नैनीताल जिले का विशेष महत्व है. देश के प्रमुख क्षेत्रों में नैनीताल की गणना होती है. यह ‘छखाता’ परगने में आता है. ‘छखाता’ नाम ‘षष्टिखात... Read more
कुमाऊनी भाषा की पहली पत्रिका ‘अचल’
1937 में साल के अंत-अंत तक कुमाऊनी में एक पत्रिका का विचार जीवन चन्द्र जोशी के दिमाग में जगह बना चुका था. अपनी बोली में एक पत्रिका निकालने के लिये इस बानगी ‘शक्ति’ और ‘कुमाऊं कुमुद’ अखबारों... Read more
शहादत दिवस विशेष : भगत सिंह आज़ादी के नायक हैं
भगत सिंह (28 सितम्बर 1907 से 23 मार्च 1931) मूर्तियाँ नायक नहीं गढ़तीं, नायकत्व बुतों का मोहताज नहीं होता. भगत सिंह इस बात के सर्वश्रेष्ठ उदाहरण हैं. आप एक हैट के नीचे कुछ अनगढ़ रेखाओं से रो... Read more
‘उस्ताद अमानत हुसैन’ कुमाऊनी शास्त्रीय होली के जनक
इस बात में कोई दोराय नहीं है कि कुमाऊं क्षेत्र में का आगमन मथुरा के आस-पास के इलाकों से हुआ है. कुमाऊं में गाई जाने वाली होलियों बृज और खड़ीबोली का स्पष्ट प्रभाव देखा जाता है. कुमाऊनी में गा... Read more
1935 में जब टिहरी में पहला रेडियो आया
बात 1935 की है, रियासत टिहरी पर महाराजा नरेन्द्रशाह का शासन था. रियासत भर में महाराजा के पास ही एकमात्र रेडियो था. लेकिन इस रेडियो को साधारण नागरिक क्या, राज्य के उच्च अधिकारी भी न देख सकते... Read more