हल्द्वानी के इतिहास के विस्मृत पन्ने: 50
20 नवम्बर 1977 में गोपाल सिंह भंडारी ने दैनिक के रूप में ‘उत्तर उजाला’ का प्रकाशन हल्द्वानी से शुरू किया. वर्तमान में उनकी पुत्री उषा किरन भंडारी व पुत्र वधु स्नेहलता भंडारी की देख रेख में प... Read more
कुली बेगार आन्दोलन
11 जनवरी 1921 की शक्ति में बदरी दत्त पाण्डे का ‘बेगार उठा लो’ का आह्वान इसी क्रम में था. 1921 के आरम्भ में कुमाऊँ का सामाजिक-राजनैतिक तापमान अपनी पराकाष्ठा पर था. गाँवों- विशेष रूप से समस्त... Read more
हल्द्वानी के इतिहास के विस्मृत पन्ने : 49
हैड़ाखान बाबा की मृत्यु के कुछ ही दिन बाद एक किशोर वय का बाबा हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया. इसका कोई पुख्ता सबूत तो नहीं था किन्तु बताया गया कि उसने एक बाबा को पहाड़ी से नीचे गिरा कर... Read more
हल्द्वानी के इतिहास के विस्मृत पन्ने : 48
तमाम जुड़ावों के बीच उनके साथ बाबा हैड़ाखान को लेकर मेरा मतैक्य नहीं हो सका. वे 1970 में बाबा हैड़ाखान के भक्त बन गए और कुछ ऐसी अविश्वसनीय बातों की चर्चा उनके बारे में करने लगते कि सहज में उनका... Read more
हल्द्वानी के इतिहास के विस्मृत पन्ने : 47
सन् 1988 में पीपुल्स कालेज के साथ ‘जेम पार्क’ यानी रत्न उद्यान की अखाड़ेबाजी कुछ समय तक चर्चा का विषय बनी रही. कहा गया कि सौभाग्य, श्रृंगार और वैभव का प्रतीक अब न केवल हल्द्वानी नगर, कुमाऊॅं... Read more
हल्द्वानी के इतिहास के विस्मृत पन्ने : 46
1982 में जब एनडी तिवारी हेमवती नन्दन बहुगुणा के बाद मुख्यमंत्री बने, उस समय यहां के जंगलों में भीषण आग लगी हुई थी.आग में कई लोग झुलस गये थे और दुर्घटना हुई. उ.प्र. विधानसभा में वनों की आग के... Read more
हल्द्वानी के इतिहास के विस्मृत पन्ने : 45
वर्तमान में हल्द्वानी नगर में बड़े अस्पतालों की संख्या गिनती से बाहर हो गई है. एक से एक काबिल डॉक्टर यहां अपने विशाल हाईटेक क्लीनिक खोल कर बैठ गए हैं. लोग कहते हैं कि जिन बीमारियों के इलाज के... Read more
कुली बेगार आन्दोलन से पहले कुमाऊं परिषद
अमृतसर कांग्रेस के बाद के महीने अत्यन्त सक्रियता भरे थे. एक प्रकार से कुमाऊं परिषद के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने इस बीच ग्रामीण क्षेत्रों में संगठन का असाधारण कार्य किया. जगह जगह परिषद् की शा... Read more
हल्द्वानी के इतिहास के विस्मृत पन्ने : 44
सन् 1970 तक शादी-ब्याह की रस्में भी यहां ठेठ ग्रामीण परिवेश में ही हुआ करती थीं. न्योतिये प्रातः पहुँच जाते और साग सब्जी काटना, हल्दी-मसाले घोटना, टेंट कनात लगाने में सहयोग करना, आदि में जुट... Read more
हल्द्वानी के इतिहास के विस्मृत पन्ने : 43
तराई भाबर में भूमि व्यवस्था भी एक विवादास्पद विषय बनी रही है. यहाँ की जमीनों की लूट का अपना एक अलग ही इतिहास रहा है. यहाँ के बीहड़ इलाके को बसाने के लिए ब्रिटिश शासन काल में यहाँ एक खाम अधिका... Read more