कुमाऊं के पहले क्रांतिकारी जिनके सर पर हज़ार रुपये का इनाम रखा था अंग्रेजों ने
भारत छोड़ो आंदोलन की पहली तारीख को ही कांग्रेस के सभी बड़े नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया. जिसके कारण आंदोलन के नेतृत्वहीन हो चुका था. इसके बाद आंदोलन एक स्वतः-स्फूर्त आंदोलन था जिसमें प्रत्ये... Read more
चंडीदास और रामी धोबन की प्रेम कथा
गई जब रामी धोबन एक दिन दरिया नहाने को वहाँ बैठा था चंडीदास अफ़साना सुनाने को कहा उसने के रामी छोड़ दे सारे ज़माने को बसाना है अगर उल्फ़त का घर आहिस्ता आहिस्ता अमीर मीनाई की लिखी और जगजीत सिंह द्... Read more
पंद्रहवीं शताब्दी की उत्तराखण्डी प्रेम कहानी
उत्तराखण्ड की भी अपनी कुछ ऐतिहासिक प्रेम कथाएँ हैं. राजुला-मालुसाई इनमें सर्वाधिक लोकप्रिय प्रेमकथा है. लेकिन कुछ अन्य प्रेम कथाएँ और भी हैं जो आंचलिक रूप से उतनी ही लोकप्रिय है. इनमें से एक... Read more
पाली-पछाऊं द्वाराहाट से 12 मील की दूरी पर है. इसे चन्द राजाओं की राजधानी के रूप में जाना जाता है. यहाँ गोरखागढ़ी नामक जगह पर गोरखा राज्य के अवशेष आज भी खण्डहर के रूप में मौजूद हैं. ईसा से लगभ... Read more
एक समय था जब दुनिया भर में मलेरिया जानलेवा बीमारी मानी जाती थी और असंख्य लोग इसकी चपेट में आकर असमय काल कवलित हो जाया करते थे. मलेरिया के चलते ही उत्तराखंड के पहाड़ों से मैदानी भागों यानी तरा... Read more
‘नशा नहीं रोजगार दो’ के 35 बरस
आज ‘नशा नहीं रोजगार दो’ आन्दोलन को पूरे 35 साल हो चुके हैं. इस आंदोलन पर नैनीताल समाचार ने 1 सितम्बर, 1984 को “पहाड़ आंदोलित है” शीर्षक से एक विस्तृत रिपोर्ट प्रकाशित की थी. शराब... Read more
आजादी के बिगुल: सोर घाटी पिथौरागढ़ -प्रोफेसर मृगेश पाण्डे ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ मारो और मरो की हसरतें पाले अवध लखनऊ के नवाब वाजिद अली शाह ने 1857 में कूर्मांचल के जुझारू कालू सिंह महरा क... Read more
जसुली अम्मा की बिखरती धरोहर
आज से कोई पौने दो सौ बरस पहले दारमा के दांतू गाँव में जसुली दताल नामक एक महिला हुईं. दारमा और निकटवर्ती व्यांस-चौदांस की घाटियों में रहने वाले रं (या शौका) समुदाय के लोग शताब्दियों से तिब्बत... Read more
पिछली कड़ी का लिंक: हल्द्वानी के इतिहास के विस्मृत पन्ने- 68 हल्द्वानी शहर (Haldwani City) में विभिन्न सांस्कृतिक (Cutural) टोलियों के साथ बागेश्वर, सालम, जागेश्वर आदि स्थानों से पारम्परिक वा... Read more
क्या है वान एलेन रेडियेशन बेल्ट एक अमेरिकी वैज्ञानिक हुए जेम्स अल्फ्रेड वान एलेन. 7 सितम्बर 1914 को जन्मे वान एलेन यूनिवर्सिटी ऑफ़ आयोवा के अन्तरिक्ष विज्ञान विभाग में काम करते थे. 1958 में उ... Read more