फ़िल्मों की बहार उर्फ़ जाने कहां गए वो दिन – 2
(पिछली क़िस्त से आगे) सिनेमा की टिकटों के लिए खिड़की खुलने से काफी पहले ही लम्बी क़तार लग जाया करती थी. टिकट क्लर्क सरकारी बाबुओं की तरह कुछ देर से आकर आसन ग्रहण करता और बड़े इत्मीनान से टिकट... Read more
फ़िल्मों की बहार उर्फ़ जाने कहां गए वो दिन – 1
जिस तरह पुराने हीरो अब हीरो नहीं रहे, एक दम ज़ीरो हो गए हैं या दादा-नाना बनकर खंखार रहे हैं, उसी तरह अपने शहर के दो सिनेमाघरों में भी एक वीरान पड़ा है तो दूसरा मॉल बन गया है. अपने को पुराने... Read more
साहिर लुधियानवी ने लिखा था – “ये बस्ती है मुर्दापरस्तों की बस्ती”. ताज़िन्दगी आदमी इस मुगालते में जीता है कि उसकी इच्छाएं पूरी होंगी, लेकिन आखिरकार वह खाली हाथ यहाँ से चला जाता है. उसक... Read more
उत्तराखण्ड की एक बीहड़ यात्रा की याद – 3
रूद्रप्रयाग जा रही रोडवेज की खटारा बस की सीट के नीचे बैग रख रहा था कि कातर भाव से आकाश ताकते दादा पर नजर पड़ी. कई दिन बाद अचानक याद आया कि उन्हें हर्निया है, डाक्टरों के कहने के बावजूद जिसका... Read more
आम के नाम
आम तो बस आम है. इसका कोई जवाब नहीं. खास ही नहीं, आम आदमी का भी मनपसंद फल. देश भर में उगता है और बहुतायत से फलता है. आम हमारे देश का राष्ट्रीय फल है, हमारी पहचान है. यहां इसे सदियों से उगाया... Read more
समाचारों के प्रस्तुतीकरण के वैचारिक चरित्र
पत्रकारिता की पाठ्यपुस्तकों में यह बताया जाता है कि हर समाचार में ‘कौन’, ‘क्या’, ‘कब’, ‘कहां’, ‘क्यों,’ और ‘कैसे’- का उत्तर होना आवश्यक है तभी ही समाचार पूर्ण हो पाता है. जब कभी किसी समाचार... Read more
कुमाऊं की रामलीला से कुछ झलकियां
कुमाऊं की रामलीला बहुत चर्चित रही है. देश को अनेक रंगकर्मी इस रामलीला ने दिए. बी एल शाह, बी एम शाह, मोहन उप्रेती जैसे कलाकारों ने रामलीला की तालीमों में अपनी आरंभिक दीक्षा ली थी. दिल्ली में... Read more
अभी क्या हाल है हमारी पृथ्वी का
आइए, जरा अपनी पृथ्वी पर नजर डालें. यह विशाल सौरमंडल का एकमात्र ऐसा ग्रह है जिस पर जीवन है. इसमें कहीं ऊंची पर्वतमालाएं हैं तो कहीं दूर-दूर तक फैले मैदान, कहीं गहरी घाटियां हैं तो कहीं विशाल... Read more
जग्गा डाकू का पहला सबक
मेदिनीधर के बड़े भाई थे, वंशीधर. वंशीधर भाई पढ़ने में बहुत होशियार थे. न जाने कब उन्हें उपन्यास पढ़ने की आदत पड़ी, जो धीरे-धीरे लत में बदलती चली गई. यहाँ तक कि वे फिजिक्स की क्लास में भी जेब... Read more
उत्तराखण्ड की एक बीहड़ यात्रा की याद – 2
इस ट्रैवलाग ने एलानिया कहानी बनने की तरफ पहला गोता मार दिया है. लेकिन मैं इसे पूरी ताकत लगाकर कहानी होने से बचाना चाहता हूं क्योंकि हमारे जीवन का यथार्थ कहानी से कहीं ज्यादा दिलफरेब है. कहान... Read more