आज है जानवरों के स्वास्थ्य से जुड़ा पर्व खतड़ुवा
खतड़ुवा उत्तराखंड में सदियों से मनाया जाने वाला एक पशुओं से संबंधित त्यौहार है. भादों मास के अंतिम दिन गाय की गोशाला को साफ किया जाता है उसमें हरी नरम घास न केवल बिछायी जाती है. पशुओ को... Read more
सदाबहार रेखा
वो सावन-भादों की फुहार हैं…उमराव जान की ताजा़ ग़ज़ल…ख़ूबसूरत की शोख़ी और हर उस फिल्म की जान जिसमें वे नज़र आईं. रेखा ने जैसे उन्हें अपने क़रीब से तो गुज़रने दिया…खु़द को छूने नहीं... Read more
क्या थी धर्म संसद, और यह गई कहां?
जिस स्विडनबॉर्जियन चर्च की पहल पर 11 सितम्बर 1893 को दुनिया की एकमात्र धर्म संसद आयोजित हुई थी, वह खुद तो कहीं बह-बिला गया लेकिन दक्षिण एशिया में उसके दो अवशेष लंबे समय तक अपना प्रभाव दिखाते... Read more
गधेरे में गुरकती उत्तराखण्ड की शिक्षा व्यवस्था
वैसे तो किसी भी मौसम में दिल्ली से पिथौरागढ जाने वाली बस में सफर के दौरान एक चीज जो कभी नहीं बदलती वो है सुबह 6 बजे के आस-पास बस सूखीढांक पहुँचते ही हवाओं का दिमाग में घुसकर हुस्न पहाड़ों का... Read more
इतिहास के पन्नों से गायब हैं महिलायें
भले ही आज भारत में सबसे लोकप्रिय होने वाले चुटकुले पत्नी प्रताड़ित पतियों के हों, भले ही आज संसद में बैठे पुरुष, महिला आयोग की तर्ज पर एक पुरुष आयोग की मांग कर रहे हों पर हकीकत यह है कि वर्त... Read more
अनछुई जगह से लौटकर उस यात्रा के अधूरेपन का अहसास दिल को सालता रहता है. मेरे साथ हमेशा ही ऐसा होता है. उस जगह में रच-बसकर जीना हो तो अगली मुलाकातें जरूरी हो जाती हैं. दूसरी यात्रा में ही आप उ... Read more
शऊर हो तो सफ़र ख़ुद सफ़र का हासिल है – 12
अधिकारी बन पड़ने की ट्रेनिंग इन सबके साथ जो आश्चर्यजनक चीज़ हुई थी वो ये कि मैं, जो किसी भी दशा में संतुष्ट नहीं रहता था अब लगभग खुश था. अभी भी दूसरे पायदान पर ही था लेकिन खुश था. तीसरे पायदान... Read more
बिड़ला वाले बिष्टजी और गेठिया के भूत
बिष्ट गुरु जी नैनीताल के मेरे मशहूर रेजीडेंशियल स्कूल में हॉबी के पीरियड्स के दौरान बच्चों को अपनी वर्कशॉप में मैटलवर्क सिखाया करते थे. क्लासरूम में प्रायः किसी अध्यापक के छुट्टी में गए होने... Read more
लिखना बेशक एक कला है. विद्या है. इसमें प्रतिभा के साथ-साथ कड़े अभ्यास की भी ज़रूरत होती है. कई जानकार मानते हैं कि लेखन में नियमित अभ्यास का बड़ा ही महत्व है और यह बड़ा ही मुफ़ीद होता है. और कुछ... Read more



























मैं मुरली मनोहर मंजुल बोल रहा हूँ
रेडियो में बैठे कई लोगों का मानना है कि क्रिकेट की लोकप्रियता के हमारे यहाँ सर चढ कर बोलने का कारण असल में रेडियो पर भाषाई और खासकर हिंदी की कमेंटरी ही है.इस पर किसी तरह की चर्चा यहाँ नहीं क... Read more