शऊर हो तो सफ़र ख़ुद सफ़र का हासिल है – 8
मंगला को वेरी गुड मिला वो दो अगस्त 2005 था और कुल तीन बातें कमाल की हुई थीं उस दिन. हमारा मेडिकल होना था और दिन में ही बाहर निकलना हुआ बी डी पांडे अस्पताल. अस्पताल जाने में कभी खुश न होने वा... Read more
सिनेमा में लॉन्ग शॉट का मतलब
[दिल्ली में रहनेवाले संजय जोशी की जड़ें पहाड़ों में बहुत गहरे धंसी हुई हैं. वे नामचीन्ह लेखक शेखर जोशी के योग्य पुत्र हैं और पिछले तकरीबन दो दशकों से बेहतर सिनेमा के प्रचार-प्रसार के लिए प्रयत... Read more
दास्तान-ए-अकबर अली उर्फ़ क़िस्सा अक्कू मियाँ
एक हुआ करते थे अकबर अली. इन हजरत के बारे में अब ये तो नहीं कह सकते कि ये अल्मोड़ा शहर की एक विभूति थे, शान थे कोई ऊंची हस्ती थे. लेकिन कुछ तो थे. एक चरित्र तो थे ही कि जिनका जिक्र आज भी प्रसं... Read more
ऐसी भी होती है एक बस यात्रा की दास्तान
ये बस दो रेगिस्तानी जिला मुख्यालयों को जोडती है जो दिन में शहर और रात में गाँव हो जाते है.सुबह ये शहर का सपना लिए जगते हैं और रात को सन्नाटा लिए सो जातें हैं.इनके बीच सदियों का मौन हैं, सिर्... Read more
अल्मोड़ा से बम्बई चले डेढ़ यार – पहली क़िस्त पहले अल्मोड़ा से अपनी मीट की दुकान से भागकर मुंबई पहुंचे आधे यार रमेश मटियानी उर्फ़ शैलेश का किस्सा. आधा यार इसलिए कि सोलह साल की उम्र में भावुकता में... Read more
यह कोई छोटा रहस्य भी नहीं
मेरे घर से कुछ दूर सड़क पर एक मूंगफली का खोमचा जाड़ा शुरू होते ही अवतरित होता है. नवंबर की जल्दबाज सांझ के झुटपुटे में जिस तरह माथे के ऊपर के आकाश से वह खोमचा हौले से उतर कर सोंधी गंध के साथ... Read more
सूचना क्रांति की टूंटूं
सूचना क्रांति हो चुकी है. सामने ख़ाली बैठे आदमी को फोन लगाइए तो आवाज़ आती है कि सामने वाला उपलब्ध नहीं है या व्यस्त है. फोन लग जाता है तो अगले के हेलो कहने के साथ ही टूंटूं की ध्वनि हड़काने लगत... Read more
सखा का आमलेट और कानपुर वाले रज्जू मामा के टमाटर
सखा की शादी हुए दो माह बीत गए थे. इस दौरान वे केरल और राजस्थान जाकर हनीमून निबटा आये थे. इन महीनों में उन्होंने अपने उन सभी अन्तरंग मित्रों को भी निबटा दिया था जिनके बगैर अपने लौंडयुग में वे... Read more
इक आग का दरिया था और डूब के जाना था – गणित का परचा
मशहूर कथाकार मुंशी प्रेमचंद को गणित हिमालय सी ऊँचाई का लगता था. आगे की कई पीढ़ियों को भी लगा. महावीर को उससे भी ज्यादा. पाँचवी का बोर्ड उसके लिए अभेद्य सा दुर्ग बन गया . चार साल से लुढ़कते-लुढ़... Read more
बिनसर में इटली का संत
लम्बे धवल केश और वैसी ही लम्बी धवल दाढ़ी वाले उस खूबसूरत अंगरेज़ को देखकर किसी को भी धोखा हो सकता था कि वह धर्म-प्रचारक या बाबा टाइप की कोई चीज़ होगा. बिनसर-कसारदेवी-अल्मोड़ा के इलाके में चार-पा... Read more