असमय राग जैजैवंती की मोहिनी तान
एक मनोरंजक कल्पना कीजिए, अगर महात्मा गांधी अहिंसा और सत्याग्रह का प्रवचन करते हुए अपने भक्त लठैतों (तब भी ऐसे भक्तों की कमीं नहीं थी जिनका गांधी के विचार से कोई लेना देना नहीं था बल्कि वे धो... Read more
दिल्ली से तुंगनाथ वाया नागनाथ – 4
(पिछली क़िस्त – दिल्ली से तुंगनाथ वाया नागनाथ – 3) हम बातें करते-करते उतरते रहे. गीता महिला समाख्या की जिला निदेशक हैं. उन्होंने नैनीताल जिले के विभिन्न इलाकों में महिलाओं की स्थिति के बारे म... Read more
एवरेस्ट मेरा भगवान है – लवराज सिंह धर्मसक्तू
सात बार एवरेस्ट फतह कर चुके बीएसएफ के असिस्टेंट कमांडेंट पद्मश्री लवराज धर्मसक्तू की कहानी भी किसी चमत्कारिक फिल्मी कथा से कम नहीं है. लवराज धर्मसक्तू का गांव बौना मुनस्यारी से 35 किलोमीटर क... Read more
इंडियन स्पाइसेज़
(1) वो ज़्यादातर चुप रहता था. इसके बारे में निश्चित रूप से कुछ कहा नहीं जा सकता था किउसकी आदत कम बोलने की थी या उसे ज्यादा बोलना पसंद नहीं था . एक बात जो काफी भरोसे के साथ कही जा सकती थी कि उ... Read more
सूरज की मिस्ड काल – 5
दुआओं के एंटीबॉयटिक का फ़ौरन असर होता है सूरज भाई पेड़ की फ़ुनगियों से झांक रहे हैं. पीटी मास्टर सरीखे किरणों, उजाले, रोशनी , प्रकाश को इधर-उधर पसरने, छा जाने का संकेत दे रहे हैं. ऊर्जा-सीटी बज... Read more
ग़ाज़ियाबाद की निम्न मध्यवर्गीय बस्ती प्रताप विहार में पली-बढ़ी पुष्पा रावत के लिए वह दिन बहुत निर्णयात्मक साबित हुआ जब उनके हाथ में कैमरा चलाने का हुनर आया. साल 2000 के आसपास उन्हें दिल्ली के... Read more
पहाड़ और मेरा बचपन – सुंदर चंद ठाकुर का नया कॉलम
[देश के प्रमुख पत्रकार-संपादकों व लेखकों में गिने जाने वाले सुन्दर चंद ठाकुर मूलतः जिला पिथौरागढ़ के एक छोटे से गाँव खड़कू भल्या के रहने वाले हैं. सेना में शॉर्ट सर्विस कमीशन के तहत कुछ वर्ष न... Read more
वह वन डे क्रिकेट का सबसे काला क्षण था
अगर टेस्ट क्रिकेट का सबसे शर्मनाक अध्याय बॉडीलाइन सीरीज़ के रूप में इंग्लैण्ड के कप्तान डगलस जार्डीन ने १९३० के दशक में लिखा था तो वन डे सीरीज़ में यह काम करनेवाले और कोई नहीं भारत के पूर्व को... Read more
सोने के बालों वाली सूना और उसके बीरा की कथा
बर्फ पड़ने के बाद की सुरसुराहट अब कम होने लगी थी. डाँडी-काँठी में जमा ह्यूं सर्दीले घाम के मद्धिम ताप से धीरे-धीरे पिघलने लगा. झड़े पत्तों की मार से भूरे नंगे पेड़ों की टहनियों में रस बहने लगा.... Read more
साझा कलम: 6- प्रियंका पाण्डेय
[एक ज़रूरी पहल के तौर पर हम अपने पाठकों से काफल ट्री के लिए उनका गद्य लेखन भी आमंत्रित कर रहे हैं. अपने गाँव, शहर, कस्बे या परिवार की किसी अन्तरंग और आवश्यक स्मृति को विषय बना कर आप चार सौ से... Read more


























