डरने वाले भाई साहब
भाई साहब डरने वाले व्यक्ति हैं. उनके डर कई प्रकार के हैं. वे सुबह उठते समय आने वाले दिन की चुनौतियों के बारे में सोचकर डरते हैं. घर से काम को निकलते हुए सफर को लेकर डरते हैं. काम खराब न हो ज... Read more
सफ़रनामा: अतीत के रास्ते
उस साल फ़रवरी के महीने में चकराता से लोखण्डी तक गाड़ी में, और वहाँ से गाँव तक पैदल सफ़र काफ़ी रोमाँचकारी रहा. एक पिक-अप गाड़ी वाला, जो चकराता से लोखण्डी जा रहा था, बड़ी मान-मनौव्वल के बाद पीछे ख़ुल... Read more
कुमाऊनी लोकोक्तियाँ – 60
पिथौरागढ़ में रहने वाले बसंत कुमार भट्ट सत्तर और अस्सी के दशक में राष्ट्रीय समाचारपत्रों में ऋतुराज के उपनाम से लगातार रचनाएं करते थे. वे नैनीताल के प्रतिष्ठित विद्यालय बिड़ला विद्या मं... Read more
दारमा घाटी की कुछ तस्वीरें
उत्तराखण्ड के पिथौरागढ़ जिले की सीमान्त तहसील धारचूला में धौलीगंगा नदी के किनारे अवस्थित दारमा घाटी अपनी प्राकृतिक सुन्दरता के लिए विख्यात है. रं सभ्यता की एक महत्वपूर्ण बसासत यह घाटी बड़ी संख... Read more
क्यों नहीं किसी के साथ भाग जाती वो
मुझे सचमुच इस चीज़ से फ़र्क नहीं पड़ता कि उसे कैसा लगता है मेरे बिना … खा़स तौर पर मैं उन दिनों से सीधे-सीधे आंख बचाकर निकल जाता हूं जिन पर हमने अपने नाम लिखकर उड़ा दिए थे. मैं वाकई नह... Read more
तिब्बत का पहला ऐतिहासिक सर्वेक्षण करने वाले विख्यात अन्वेषक पंडित नैनसिंह रावत (देखें: पंडित नैनसिंह रावत : घुमन्तू चरवाहे से महापंडित तक) के चचेरे बड़े भाई पंडित मान सिंह रावत मुनस्यारी की ज... Read more
स्वस्थ बातचीत का वर्जित विषय
साधो हम बासी उस देस के – 6 –ब्रजभूषण पाण्डेय (पिछली कड़ी : नियति दानवी से लड़ कर विजेता राजकुमार बनने की कथाएं ) मास्साब की अख़लाक़ निगाहों में पढ़ाने से ज़्यादा ज़रूरी काम अपने ढीठ रुत... Read more
कुमाऊनी लोकोक्तियाँ – 59
पिथौरागढ़ में रहने वाले बसंत कुमार भट्ट सत्तर और अस्सी के दशक में राष्ट्रीय समाचारपत्रों में ऋतुराज के उपनाम से लगातार रचनाएं करते थे. वे नैनीताल के प्रतिष्ठित विद्यालय बिड़ला विद्या मं... Read more
लोहारखेत गाँव से कुछ तस्वीरें
कुमाऊं मण्डल के बागेश्वर जिले की कपकोट तहसील का एक गाँव है लोहारखेत. ये गाँव पिंडारी, कफनी और सुन्दरढूँगा ग्लेशियरों के रास्ते का एक महत्वपूर्ण पड़ाव भी है. खड़किया तक रोड बनने से पहले लोहारखे... Read more
धरती के युद्ध धरती पर ही लड़े जायेंगे
जिस जगह वो रहता था उस जगह के आगे कोई बस्ती नहीं थी. गाँव के छोर से आगे जाने की अघोषित मनाही थी. कई पीढीयों से. उसे पक्का विश्वास था की दुनिया के गोल होने बातें महज बकवास थी.और दुनिया का छोर... Read more