कुमाऊनी लोकोक्तियाँ – 76
डा. वासुदेव शरण अग्रवाल ने एक जगह लिखा है – “लोकोक्तियाँ मानवीय ज्ञान के चोखे और चुभते सूत्र हैं.” यदि वृहद हिंदी कोश का सन्दर्भ लिया जाए तो उस में लोकोक्ति की परिभाषा इस प्रकार दी गई... Read more
जम्बू: उच्च हिमालयी क्षेत्रों का दिव्य मसाला
भारतीय खान-पान की परंपरा में मसालों की महत्वपूर्ण भूमिका है. अपने खाने में मसालों के इस्तेमाल से भारतीय रसोई में प्राकृतिक अनाज, सब्जियों और दालों का कायापलट कर दिया जाता है. सामान्य भारतीय... Read more
चंद्रशेखर लोहुमी को जानते हैं आप?
कहो देबी, कथा कहो – 26 पिछली कड़ी:कहो देबी, कथा कहो – 25, देबी के बाज्यू आये पंतनगर अनुशासन प्रिय कुलपति जनवरी 1975 में विदा हुए. विश्वविद्यालय में उनका आखिरी दिन था. भावभीनी विदाई दी जा चुकी... Read more
कुमाऊनी लोकोक्तियाँ – 75
डा. वासुदेव शरण अग्रवाल ने एक जगह लिखा है – “लोकोक्तियाँ मानवीय ज्ञान के चोखे और चुभते सूत्र हैं.” यदि वृहद हिंदी कोश का सन्दर्भ लिया जाए तो उस में लोकोक्ति की परिभाषा इस प्रकार दी गई... Read more
पिछले एक सप्ताह से उत्तराखंड राज्य सरकार स्कूलों में गेस्ट टीचरों की नियुक्ति को लेकर अपनी पीठ थपथपा रही है. उत्तराखंड में शिक्षा विभाग सरकारी कर्मचारियों वाला सबसे बड़ा विभाग है. जाहिर है कि... Read more
जौनसार बावर में स्त्री
दिल्ली में रहते हुए सुदूर पहाड़ के गाँव के रिश्तेदारों को निभाना एक दुरुह काम है. सगे संबंधी हमेशा इस आस में रहते है कि गाँव में रहने वाले खेतिहर और पशुचारक की मजबूरी तो एक बार को समझ में आ भ... Read more
भारत की पहली महिला शिक्षिका सावित्री बाई फुले
-रवीश कुमार दो साड़ी लेकर जाती थीं. रास्ते में कुछ लोग उन पर गोबर फेंक देते थे. गोबर फेंकने वाले ब्राह्मणों का मानना था कि शूद्र-अतिशूद्रों को पढ़ने का अधिकार नहीं है. घर से जो साड़ी पहनकर न... Read more
कुमाऊनी लोकोक्तियाँ – 74
डा. वासुदेव शरण अग्रवाल ने एक जगह लिखा है – “लोकोक्तियाँ मानवीय ज्ञान के चोखे और चुभते सूत्र हैं.” यदि वृहद हिंदी कोश का सन्दर्भ लिया जाए तो उस में लोकोक्ति की परिभाषा इस प्रकार दी गई... Read more
पतिव्रता रामी बौराणी के त्याग व समर्पण की लोककथा
रामी बौराणी की कथा उत्तराखण्ड के गढ़वाल मंडल की एक बहुप्रचलित लोककथा है. रामी का पति बीरू सेना में है. एक दफा उसके पति को युद्ध में दूर बॉर्डर पर लड़ने जाना पड़ता है. रामी के भाग्य में भी पह... Read more
साधो हम बासी उस देस के – 8 –ब्रजभूषण पाण्डेय (पिछली कड़ी : बावन सेज, तिरसठ आँगन, सत्तर ग्वालिन लूट लिए) चौधरी मास्टर परमानेंट शिक्षक नहीं थे. लेकिन इस विद्यालय में वो सत्ताईस सालों से प... Read more