अपने बचपन के गाँव को ठीक-ठीक आज न स्मरण कर पाने का एक बड़ा कारण शहर आने के बाद उत्तराखंड राज्य को लेकर चलनेवाला जन-आन्दोलन और उसमें कुछ हद तक मेरी अपनी हिस्सेदारी भी थी. (Uttarakhand poor des... Read more
सबसे मुश्किल है अच्छा इंसान बन पाना
4G माँ के ख़त 6G बच्चे के नाम – आठवीं क़िस्त पिछली क़िस्त का लिंक: माँ की इच्छाओं की अकाल मृत्यु आज अपने एक दोस्त के साथ दो-ढाई घंटे बतियाई, बहुत अच्छा लगा. थोड़ी सी दिमागी भूख मिटी. वो उम्र में... Read more
एनटीआर को याद कीजिये आज
एनटीआर यानी नंदमूरि तारक रामाराव यानी अन्ना गारू का भारतीय राजनीति में जिस समय उदय हुआ वे तकरीबन 60 साल के हो चुके थे. उन्होंने साल 1982 में तेलुगू देशम पार्टी यानी टीडीपी की स्थापना की थी.... Read more
पहाड़ और मेरा जीवन – 34 (पिछली कड़ी: वो 26 रनों की यादगार पारी और लटक-लटक कर नाटे कद से छरहरा व लंबा बन जाना) राजस्थान में हमारे घर के आसपास तोते बहुत थे. मुझे बचपन से ही जानवरों के बच्चे बहु... Read more
किंग रिचर्ड्स और बिग बर्ड का था 1979 का विश्वकप
क्रिकेट का दूसरा विश्वकप 1979 में खेला गया. इस बार भी पिछले विश्वकप का पैटर्न दोहराया गया और 4 टीमों वाले 2 ग्रुपों के बीच राउंड-रोबिन पद्धति से 60 ओवरों के मैच खेले गए. दोनों ग्रुपों की दो... Read more
जलौनीधार एक छोटा मगर प्यारा सा बुग्याल
एक ओर उत्तराखंड जहां अपने उच्च हिमालयी ट्रेकिंग डेस्टिनेशंस के लिये प्रसिद्ध है तो वहीं उत्तराखंड अपने प्यारे खूबसूरत बुग्यालों के लिये भी प्रसिद्ध है. जलौनीधार बुग्याल ऐसा ही छोटा मगर खूबसू... Read more
रवि शास्त्री हाय-हाय और कुछ पुरानी बातें
मुझे बार-बार लगता है कि “रवि शास्त्री हाय-हाय” के दिगंतव्यापी उद्घोष के पीछे कोई न कोई दिलजला रहा होगा. लम्बे कद के खूबसूरत रवि शास्त्री के पीछे उन दिनों लड़कियां दीवानी रहा करती थीं. उसकी इन... Read more
जिसके हाथों रास है, वो खच्चर का ख़ास है
अंतर_देस_इ (शेष कुशल है) ओए नागरिक अमाँ बाशिंदे अबे देसवासी जियो… बसो… फलो तुम्हारा ख़त (मत) मिला. बहुत उत्साह में दिखे तुम. अच्छा है, पर छाती पीटने से मुक्के या छाती, दोनों में स... Read more
बैठी हूँ कब हो सवेरा रुला के गया सपना मेरा
रुला के गया सपना मेरा बैठी हूँ कब हो सवेरा वही है गमे दिल वही है चंदा तारे वही हम बेसहारे आधी रात वहीं है और हर बात वही है फिर भी ना आया लुटेरा… कैसी ये जिंदगी साँसों से हम ऊबे के दिल... Read more
महादेवी वर्मा हिन्दी साहित्य के महत्वपूर्ण छायावादी आन्दोलन के चार बड़े नामों में से एक थीं. इस समूह में उनके अलावा जयशंकर प्रसाद, सुमित्रानंदन पन्त और महाप्राण सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ थे... Read more