ऐपण कला की उम्मीद पिथौरागढ़ की निशा पुनेठा
उत्तराखण्ड की लोकसंस्कृति के विलुप्त हो जाने की आशंका के बीच कई युवा अपने जिद्दी इरादों के साथ इस कुहासे को लगन के साथ हटाते दिखाई देते है. उनके इरादे बताते हैं कि ऐसा मुमकिन नहीं. उनके रहते... Read more
रिटायरमेंट के बाद कमरे में सोएं, यही चाहते हैं बस
बहुत कुछ घुमड़ रहा था उसकी आँखों में. आँखों में देखकर बातें नहीं कर रहा था वो. सामने मेज पर पर एल आई सी का टेबल कैलेण्डर था. उसकी तरफ शायद जून था. जून का एक चित्र था. चित्र में एक परिवार था.... Read more
तुम होगे साधारण ये तो पैदाइशी प्रधान हैं
इन्हें प्रणाम करो ये बड़े महान हैंदंत-कथाओं के उद्गम का पानी रखते हैंपूंजीवादी तन में मन भूदानी रखते हैंइनके जितने भी घर थे सभी आज दुकान हैंइन्हें प्रणाम करो ये बड़े महान हैं उद्घाटन में दिन... Read more
कहां गयी पहाड़ की चुंगी देने की परम्परा
बचपन में चुंगी मिलने अपार आनंद याद आता है. वह जीवन के सबसे सुखद पलों में हुआ करता. हम बच्चे होते थे और घर पर किसी भी बड़े चचेरे-ममेरे भाई या उसके अन्तरंग दोस्त के आने की प्रतीक्षा रहती थी. (... Read more
अल्मोड़ा जिंदगी में नमूदार हुए कुछ उन शहरों में रहा जिन्होंने न केवल प्रभावित किया बल्कि अंदर तक हिलाया भी. (Famous Ramlila Tradition of Almora) अल्मोड़ा बिना अभिभूत किए छोड़ता नहीं है. शहर... Read more
थल का बालेश्वर मन्दिर: जगमोहन रौतेला का फोटो निबंध
बेड़ीनाग (पिथौरागढ़) से थल (पिथौरागढ़) को जाते हुए पूर्वी रामगंगा के पुल को पार करते ही थल का बाजार शुरु हो जाता है. मुख्य बाजार की ओर जाते हुए पुल से लगभग 25-30 मीटर की दूरी पर बाईं ओर रामग... Read more
हमारी नियमित लेखिका गीता गैरोला ने आपको अनेक मनभावन कहानियां सुनाई हैं. हाल ही में हमने उनकी मशहूर किताब ‘मल्यो की डार’ के एक अध्याय को हरिद्वार में रहने वाली स्मिता कर्नाटक की आवाज़ में सुन... Read more
उत्तराखंड प्रदेश की राजनीति में महत्वपूर्ण स्थान रखने वाले विधायक बंशीधर भगत जब आते हैं स्टेज पर तो बज उठती है तालियां. उत्तराखंड प्रदेश की राजनीति में अलग पहचान रखने वाले जाना पहचाना चेहरा,... Read more
उत्तराखंड में पंचायत चुनाव शुरू होने को हैं. शनिवार 6 अक्टूबर से 16 अक्टूबर तक तीन चरणों में इन पंचायत चुनावों को तीन चरणों में संपन्न कराया जाना है. (List of 90 Expelled Uttarakhand BJP Wor... Read more
मंडुवा की रोटी भली, सिसुणा को साग
असल में लोकोक्ति है- “मंडुवा की रोटी भली, सिसुणा को साग.” बचपन में सुना ही सुना था. सिसुणा का साग बनता बहुत कम घरों में था. फिर भी, जहां बनता था, चखने को मिल जाता था. लेकिन, सच यह है कि जो स... Read more