कुमाऊँ के मनान गाँव के शैलेश उप्रेती हैं इस साल के नोबेल विजेता प्रोफ़ेसर के चहेते शिष्य
अल्मोड़ा से ताल्लुक रखने वाले अशोक उप्रेती ने अपनी फेसबुक वॉल पर कुछ देर पहले एक ऐसा समाचार शेयर किया है जिस से हर कुमाऊनी का मस्तक ऊंचा हुआ है. उनके बड़े भाई डॉ. शैलेश उप्रेती इस वर्ष रसायन व... Read more
माँ दुर्गा के नौ रूपों को समर्पित नौ मंदिर हैं. पाताल देवी का मंदिर उन्हीं में से एक है. अल्मोड़ा से पांच-छः किलोमीटर दूर यह मंदिर ग्राम शैल में है. कोई 250 वर्ष पुराने इस मंदिर के आसपास एक ज़... Read more
दैव संयोग से ही बनते हैं, हल्द्वानी ऑनलाइन 2011 जैसे ग्रुप सोशल मीडिया का प्लेटफार्म अच्छाई के लिए कम ही जाना जाता है. प्लेटफार्म में मौजूद तमाम नकारात्मकता के बावजूद, हल्द्वानी ऑनलाइन 2011... Read more
पिथौरागढ़ रामलीला में लम्बे समय तक शूर्पणखा का किरादर निभाने वाले कल्लू चाचा उर्फ़ खुदाबख्श
पिथौरागढ़ की रामलीला में सबसे लंबे समय तक एक ही पात्र का अभिनय करने का कीर्तिमान संभवतः कल्लू चाचा उर्फ़ खुदाबख्श के नाम होगा. कल्लू चाचा ने किशोरावस्था से बुढ़ापे तक एक ही पात्र किया – श... Read more
अगर आप उत्तराखंड से हैं और आपने लाटा शब्द नही सुना तो आप सच में लाटे ही हैं. कितनी ही बार आप लाटा बनें होंगें और कितनी ही बार आपने लोगों को ‘लटाया’ होगा. लाटा का शाब्दिक अर्थ जो भ... Read more
रामलीला मंचन के शुरुआती वर्षों में प्रकाश व्यवस्था के लिये चीड़ के पेड़ के छिल्कों का प्रयोग किया जाता था. कच्चे पतले पेड़ों को काटकर रामलीला मंच के चारों ओर गाड़ दिया जाता और छिल्कों के गुच्छों... Read more
मैं कितना खुश हूँ, इस पल को जी रहा हूं. मेरे पास बहुत कुछ है, जो तमाम लोगों के पास नहीं है. यही तो पल-पल जीने का एहसास है. जानते हैं आप, दुनिया में प्रत्येक 40 सेकेंड में एक व्यक्ति आत्महत्य... Read more
हल्द्वानी की एक तस्वीर और उसकी तफसील
नीचे की फोटो को ध्यान से देखिये. एक निगाह में आप ताड़ जाएंगे कि यह उत्तराखंड के किसी बड़े नगर का रोडवेज स्टेशन है. ऑनलाइन बुकिंग का बोर्ड बताता है कि टेक्नोलॉजी के मामले में हमने बहुत तरक्की... Read more
हे महादेवी ! तुम कौन हो
हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें: Kafal Tree Online जीवन भर उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के कुल महाविद्यालयों में अर्थशास्त्र की प्राध्यापकी करते रहे प्रोफेसर मृगेश पाण्डे फिलहाल सेवानिवृत्ति... Read more
मुक्तेश्वर की ठंड और सने हुए नीबू के मजे
हमारा बचपन मंदिर के ठीक नीचे वाले बंगले में गुजरा. उससे पहले मुक्तेश्वर क्लब के ऊपर वाला घर और उससे भी पहले हवाघर वाला घर. ब्रिटिश काल में बने मुक्तेश्वर के खूबसूरत बंगलों की खिड़कियों से सा... Read more