एक अजूबा है हल्द्वानी की बड़ी मंडी
बरेली व रामपुर रोड के बीच में स्थित है हल्द्वानी की बड़ी मंडी. जिसका नाम लेते ही आमतौर पर थोक की बड़ी सब्जी मंडी की तस्वीर ही ऑखों के सामने तैरती है. पहले यह मंडी हल्द्वानी बाजार में ही स्थि... Read more
आइबिस्बिल पक्षी का रामनगर प्रवास
सर्दियाँ शुरू होते ही कॉर्बेट पार्क, रामनगर व इसके आसपास प्रवासी पक्षियों का आना शुरू हो जाता है. उच्च हिमालयी क्षेत्रों के अलावा तिब्बत से भी कई पक्षी रामनगर के आसपास जुटना शुरू हो जाते हैं... Read more
पहाड़ की चोटी पर बसे अपने गांव में शीत ऋतु से सामना बचपन में ही हो चुका था. सर्दियां शुरू होतीं और सुबह-शाम ठंड से शरीर कंपकंपाने लगता, दांत किटकिटाने लगते. ठंडी सूखी हवा से होंठ फट जाते. सु... Read more
भवाली के लोग भूले नहीं हैं डॉ. आन सिंह को
पचास के दशक के अन्त में जब होश संभाली, तो घर में किसी सदस्य के गम्भीर बीमार पड़ने पर डॉ. आन सिंह जी को उपचार हेतु बुलाया जाता. घर की देहली पर उनका कदम रखते ही मरीज व परिजनों का आधा तना... Read more
गाँव की बर्फबारी में नंदादेवी बनाना
बर्फीली याद, गाँव की बड़े दिनों बाद, गाँव गया था. देखना था कि गाँव की मिट्टी की तासीर कुछ बदली है या वैसी ही है, जैसी छोड़ आया था, वर्षों पहले. आसमान की तो आँखें भीग आयीं, मुझे देखकर. और धरत... Read more
सपने जैसा बिनसर सपने जैसी बर्फ
स्वप्न सा बिनसर! बिनसर हर मौसम में अपने अलग ही रूप और मिजाज में नज़र आता है, बर्फबारी के बाद इसे देखना और जीना एक सपने जैसा होता है जो हम जीते जागते देखते हैं. First Snowfall of the Season B... Read more
झलतोला एक एकांत जगह है. तहसील गंगलीहाट का यह गाँव, किसी ज़माने में अपने पडोसी चौकोडी की तरह एक चाय बागान था. कालान्तर में इसके कुछ हिस्सों में गाँव बस गए और कुछ देख रेख के अभाव में अव्यवस्... Read more
उत्तराखण्ड के सीमांत जिले चम्पावत से 28 किमी दूर और नेपाल की सीमा से लगे हुए गुमदेश क्षेत्र में एक खूबसूरत कस्बा है पुलहिंडोला संक्षेप में इसे पुल्ला नाम से जाना जाता है. पुलहिंडोला की आबादी... Read more
उत्तराखण्ड की पहाड़ियों में कल सुबह से मौसम ने करवट ली और जोरदार बर्फबारी से पहाड़ों ने सफेद बाना ओढ़ लिया. पर्यटक और मैदानी इलाकों में रहने वाले लोग बर्फबारी वाले इलाकों में जुटने लगे. मजखाली,... Read more
विगत 9 दिसम्बर को गरुड़ वाले चाचा आ गए ,चाची को साथ लेकर. हम उन्हें गरुड़ वाले चाचा कहते हैं. दरअस्ल वह गरुड़ और डंगोली के बीच कोटफुलवारी गांव में रहते हैं जहां प्रसिद्ध कोटभ्रामरी देव... Read more