मौत और मोहब्बत की संगत में एक विकट सफ़र
फ़रवरी के आख़िरी दिन थे. मौसम को उदास और झाड़ रूख को झंखाड कर देने वाली हवा चलने लगी थी जिसे हमारे यहाँ लोकभाषा में फगुनहटा कहते हैं. बोकारो के सर्किट हाउस से हम थके उदास और टूटे अपनी अपनी स... Read more
पिछले महीने ही तो लगन हुआ है सुखिया का. दुल्हनियाँ का नाम है-बसन्ती. गोल-मटोल, बड़ी-बड़ी आँखों और पतले होंठों वाली बसन्ती यूँ तो ज़रा बेढब सी है पर चाल में शहरी नज़ाकत नहीं ख़ालिस देहा... Read more
सेम मुखेम, गंगू रमौल और सिदुआ-बिदुआ की कथा
उत्तरकाशी का टकनौर परगना जो जान्हवीं औरभागीरथी नदियों का जलागम प्रदेश रहा. वारागड़ी पट्टी इलाके तक फैला. साथ ही जिसमें कठूड़ पट्टी भी शामिल थी और प्रताप नगर भी. पहाड़ के इस अधिपति की बा... Read more
दारमा घाटी के गो गाँव में खलनायक
आठ दिन हो गए बारिश को. बीच में आधे दिन के लिए रुकी थी पर तीन दिन से तो एक मिनट के लिए भी आसमान ने आराम नहीं किया. सुबह तिदांग से मारछा को निकल तो गए लेकिन लसर यांगती पर बने पुल को देखकर हवा... Read more
आज आठ अप्रैल है. लॉक डाउन के प्लान के हिसाब से आज के बाद नए पॉज़िटिव केसेज़ आने की संख्या में गिरावट दर्ज की जानी चाहिए. मगर अब ऐसा होता लगता नहीं. पिछले दिनों कुछ लोगों की लापरवाही ख़तरनाक... Read more
एक मास्क ऐसा भी
“मम्मी ! मम्मी !” दस साल का अनुज बालकनी से माँ को आवाज़ लगाता हुआ आया. Corona Tales from Smita Karnatak “ क्या बात है बेटा ? नाश्ते की तैयारी करते हुए किचन में व्यस्त विशाखा ने प्याज़... Read more
आपको क्या लगता है कोरोनोत्तर काल कैसा होगा? आपको लगता है कि दुनिया की शक्लोसूरत बदल जाएगी? आपको लगता है कि लोग थोड़े संयमित, थोड़े सहिष्णु, थोड़े उदारमना हो जाएंगे? आपको लगता है कि सूचना विस... Read more
इन मुश्किल दिनों में तीन कुमाऊनी गीत
लॉकडाउन के समय में परेशानियों से जूझ रहे लोग आपसी सहयोग से जिंदगी को थोड़ा आसान बनाने की कोशिश कर रहे हैं. जब सामान्य जनजीवन ठप है और कई अनसुलझे सवाल, तो अपना मनोबल बनाये रखने के लिए रचनात्म... Read more
समधी के ओड्यार में तीन रातें
हमें घर से निकले पांच-छह दिन तो हो ही गए होंगे और पिछले चार दिन से बारिश रुकने का नाम नहीं ले रही थी. जिस दिन से हम कनार से ऊपर चले तब से मानो असमान हमसे नाराज हो गया. पहले दिन हमने कनार से... Read more
अंतर होने वाला हुआ अल्मोड़े अल्मोड़े में
हल्द्वानी की तरफ से अल्मोड़ा शहर में प्रवेश करते समय, पहला तिराहा जो मिलता है उसका नाम करबला है. different types of houses in almora vivek saunakiya करबला तिराहे पर बीचों-बीच प्लास्टिक के लग... Read more