जिन्दगी में तीन सम्बन्ध कभी नहीं मिटते
17 जुलाई, 1969 को ठीक पचास साल पहले, आज ही के दिन. Tara Chandra Tripathi Memoir by Batrohi डिग्री कॉलेज के इन्टर सेक्शन के प्रिंसिपल कुद्दूसी साहब ने मुझे एक रजिस्टर थमाते हुए कहा, ‘त्रिपाठी... Read more
सावन के महीने देवता कैलाश में जुआ या अन्य बाजियां लगाते हैं : सीमांत की अनूठी मान्यता
सावन का महीना और आप यदि सीमांत के किसी गाँव मे जाते हैं तो हर घर में एक ही चीज आम होगी वो है, हर घर के दरवाजे और खिड़कियों में लगे काटें और बिच्छू घास की टहनियां. ये किसी भी नये व्यक्ति के... Read more
रूमानी नहीं रौद्र होता है पहाड़ों का सावन
भूगोल न सिर्फ़ खानपान, वेशभूषा, आवास को बल्कि साहित्य को भी प्रभावित करता है. खासकर गीतों को. सावन को ही ले लीजिए. भारत के मैदानी क्षेत्रों की बात करें तो सावन सर्वाधिक रूमानी महीना है... Read more
छोटी सफलताएं बनेंगी बड़ी सफलता की सीढ़ियां
क्या आप जीवन में एक सफल इंसान बनना चाहते हैं? सफल होने के मायने हैं कि जो भी पेशा आपको पसंद हो, आप आजीविका के लिए उसी से जुड़ा काम करें. आप जो भी काम करें, उसमें आपको कामयाबी मिले. आप रोज उत... Read more
उस जमाने का रिजल्ट जब लट्ठ, बिच्छू घास और चप्पलें ही बड़े-बुजुर्गों के आंणविक व विध्वंसक हथियार होते थे
अभी हाल में हर तरह के बोर्ड के रिजल्ट निकल आए हैं. कुछेक निकलने बांकी हैं. वैसे इस कोरोनाकाल में निकले रिजल्ट में किसी का जैक पॉट लगा तो बांकियों की भी लॉटरी निकल ही आई. जैकपॉट वालों में से... Read more
लकड़ी की पाटी, निंगाल की कलम और कमेट की स्याही : पहाड़ियों के बचपन की सुनहरी याद
करीब एक फीट चौड़ी तो डेढ़ फीट लम्बी और आधा इंच मोटाई की तख्ती. इसकी लकड़ी होती रीठा, पांगर, तुन, अखरोट, खड़िक, बितोड़, चीड़ या द्यार-देवदार की, जिनके सूखे गिंडों को आरे से काट बसूले से छील र... Read more
गुलाम भारत में ये दौर था वर्ष 1930 के अगस्त माह के दूसरे सप्ताह का. जब चंद्रशेखर “आजाद”, हजारीलाल, रामचंद्र, छैलबिहारी लाल, विश्वम्भरदयाल और दुगड्डा निवासी उनके साथी क्रांतिकारी... Read more
तारा दत्त भट्ट की पहाड़ी जड़ी-बूटियों से बनी पकौड़ियों के मुरीद अटल बिहारी वाजपेयी तक थे
नैनीताल जिले के अंतर्गत आने वाला एक गाँव है मल्ला रामगढ़. भवाली से लगभग यही कोई 14 किमी के आस पास की दूरी पर स्थित मल्ला रामगढ़ में सन 1966 में दुर्गा दत्त भट्ट ने किराने की दुकान खोली. बाद... Read more
देहरादून के घंटाघर का रोचक इतिहास
ऐसी तस्वीर जिसको देखते ही हर देखने वाले की जुबान पर इस जिले का नाम आ जाये तो वह तस्वीर यहां के घंटाघर की हो सकती है. देहरादून का घंटाघर इस शहर की पहचान है. जहां आज घंटाघर है वहां पहले पानी क... Read more
हरेला पर हो हल्ला नहीं, रोपें संस्कारों के बीज
जी रया, जाग रया, यो दिन यो मासन भेटनै रया … सिर पर हरेला (हरे तिनके) रखते हुए इन आशीर्वाद रूपी वचनों से हम खुद को धन्य समझते हैं. जिसका मतलब है, जीते रहो, जागते रहो और इस दिन से आपकी ह... Read more