हरियाणे के बलाली गाँव का नाम सुना होगा. वही फोगाट बहनों का गाँव! दिल्ली से एक सौ दस किलोमीटर दूर इस गाँव तक पहुँचने में गाड़ी से अमूमन दो-ढाई घंटे लगते हैं. रास्ते में झज्जर कस्बा पड़ता है ज... Read more
एक सुनहरे युग के आख़िरी बाशिंदे थे जिमी
क्रिकेट देखना मुझे तभी तक अच्छा लगता रहा जब उसे सफ़ेद पोशाक पहन कर खेले जाने का रिवाज था. फुटबाल खिलाड़ियों की तरह पीठ पर नंबर लिखे रंग-बिरंगे कपड़ों में खेली जाने वाली पाजामा क्रिकेट ने खेल... Read more
किस्सों-कथाओं से बना नैनीताल
नैनीताल के मल्लीताल रिक्शा स्टैंड के सामने जहाँ से फ्लैट्स की तरफ जाने का रास्ता शुरू होता है, एक ज़माने में वहां ऐन कोने में जमनसिंह मूंगफली का ठेला लगाते थे. 60-65 के फेरे में रहे होंगे. ल... Read more
मोहम्मद अली और बीसवीं सदी का सबसे बड़ा दार्शनिक
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये क्लिक करें – Support Kafal Tree मोहम्मद अली बॉक्सिंग का वर्ल्ड हैवीवेट चैम्पियन बन चुका था जब 1966 के साल अमेरिका ने अपनी दादागीरी के चलते वियतनाम जैसे छोट... Read more
रॉबिन की बुद्धिमत्ता, बहादुरी और वफ़ादारी की कहानियां जिम कॉर्बेट की किताब में दर्ज हैं
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये क्लिक करें – Support Kafal Tree जिम कॉर्बेट की उससे पहली मुलाक़ात इत्तफाक से हुई. कड़ी सर्दी वाले एक दिन जिम और उनकी एक दोस्त किसी परिचित के घर गए हुए थे ज... Read more
2013 की सर्दियों का वाक़या है. मेरे अन्तरंग मित्र दिवंगत सुनील शाह उन दिनों ‘अमर उजाला’ के कुमाऊँ संस्करण के सम्पादक थे. मोबाइल फोन को आए बहुत समय नहीं हुआ था. और कैमरे वाले मोबाइल तो और भी... Read more
आज गिर्दा की तेरहवीं पुण्यतिथि है
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये क्लिक करें – Support Kafal Tree ज़िंदगी भर गिर्दा एक फिल्म बना सकने की हसरत पाले रहा – शेखर जोशी की कहानी ‘कोसी का घटवार’ को बड़े परदे पर दिखा सकने के उसके... Read more
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये क्लिक करें – Support Kafal Tree रामनगर में बौने के बमपकौड़े के बाद जो डिश सबसे फेमस थी उसे बनवारी का तिकोना कहा जाता था और बनवारी जिस चीज़ को तिकोना कहकर ब... Read more
आलू, चने और रायते का यह अनुपम जादू
तश्तरी के ऊपरी हिस्से में जो काले चने दिखाई दे रहे हैं उन्हें रात भर चीड़ की लकड़ी की आँच में गलाया जाता है. बिल्कुल बेसिक मसालों में भूने गए आलू हमारे कुमाऊँ में गुटके कहलाते हैं. इन दोनों... Read more
जोशीमठ की पूरी कहानी
गढ़वाल हिमालय का गजेटियर लिखने वाले अंग्रेज़ आईसीएस अफसर एचजी वॉल्टन ने 1910 के जिस जोशीमठ का ज़िक्र किया है, वह थोड़े से मकानों, रैनबसेरों, मंदिरों और चौरस पत्थरों से बनाए गए नगर चौक वाला ए... Read more