हरियाली के पर्याय चाय बागान
चंपावत उत्तराखंड का एक छोटा सा नगर जो पहले अल्मोड़ा जिले का हिस्सा था और 1972 में पिथौरागढ़ में शामिल हुआ। फिर 1997 में एक स्वतंत्र जिला बन गया। गोरल देव यहां के इष्ट देवता है इसलिए यह गोल्... Read more
हो हो होलक प्रिय की ढोलक : पावती कौन देगा
दिन गुजरा रातें बीतीं और दीर्घ समय अंतराल के बाद कागज काला कर मन को चटक बना, होठों पे मुस्कान भर देने वाले गुदगुदी सम्राट ने यक्ष प्रश्न पूछा “पावती कौन देगा” प्रिय ने भेजी है.(P... Read more
हिमालयन बॉक्सवुड: हिमालय का गुमनाम पेड़
हरे-घने हिमालयी जंगलों में, कई लोगों की नजरों से दूर, एक छोटी लेकिन वृक्ष की बहुत महत्त्वपूर्ण प्रजाति पाई जाती है, जिसे Himalayan Boxwood (Scientific name: Buxus Wallichiana) कहते हैं... Read more
भू कानून : उत्तराखण्ड की अस्मिता से खिलवाड़
उत्तराखण्ड में जमीनों के अंधाधुंध खरीद फरोख्त पर लगाम लगाने और यहॉ के मूल निवासियों के हक हकूकों को बनाए रखने के लिए पिछले 4 साल से सख्त भू कानून का हल्ला खूब मचा हुआ था. प्रदेश में सख्त भू... Read more
कलबिष्ट : खसिया कुलदेवता
किताब की पैकिंग खुली तो आकर्षक सा मुखपन्ना था, नीले से पहाड़ पर सफेदी के स्ट्रोक, गाढ़े हरे पीले बसंती रंग के साथ लालिमा लिया अधेड़ सा एक पेड़ और उसके बगल में देवालय. इस परिदृश्य से उभरती हु... Read more
खाम स्टेट और ब्रिटिश काल का कोटद्वार
गढ़वाल का प्रवेश द्वार और वर्तमान कोटद्वार-भाबर क्षेत्र 1900 के आसपास खाम स्टेट में आता था. भारत में उस दौरान अंग्रेजों का शासन था. कोटद्वार-भाबर क्षेत्र का अधिकांश भाग चारों और से जंगल से घ... Read more
मुसीबतों के सर कुचल, बढ़ेंगे एक साथ हम
पिछली कड़ी : बहुत कठिन है डगर पनघट की ब्रह्मपुरी की बात चली थी उन दिनों उत्तराखंड के भूगोल पर वह गहरी जाँच पड़ताल कर रहे थे. मल्ली ताल से पाषाण देवी होते रोडवेज स्टेशन तक आते बूंदाबांदी तड़ात... Read more
लोक देवता लोहाखाम
आइए, मेरे गांव के लोक देवता लोहाखाम के पर्व में चलते हैं. यह पूजा-पर्व ग्यारह-बारह साल में मनाया जाता है. लोहाखाम देवता का थान गांव से दूर जंगल में एक पहाड़ी पर स्थित है. उस जंगल में कभी हमा... Read more
बसंत में ‘तीन’ पर एक दृष्टि
अमित श्रीवास्तव के हाल ही में आए उपन्यास ‘तीन’ को पढ़ते हुए आप अतीत का स्मरण ही नहीं करते वरन् भविष्य में भी झांक सकते हैं. समय तो हमेशा आगे बढ़ता ही रहता है लेकिन मानवता की चुनौ... Read more
अलविदा घन्ना भाई
उत्तराखंड के प्रसिद्ध हास्य कलाकार घनानंद जी ’घन्ना भाई’ हमारे बीच नहीं रहे. देहरादून स्थित एक अस्पताल में आज दोपहर 12:30 बजे लंबी बीमारी के बाद उन्होंने अंतिम सांस ली.(Obituary to Ghanna Bh... Read more