भोलाराम का जीव : हरिशंकर परसाई
ऐसा कभी नहीं हुआ था… धर्मराज लाखों वर्षों से असंख्य आदमियों को कर्म और सिफारिश के आधार पर स्वर्ग या नर्क में निवास-स्थान ‘अलाट’ करते या रहे थे- पर ऐसा कभी नहीं हुआ था. (Harishankar Par... Read more
हमारा समाज विविधताओं से भरा है, उतनी ही अनोखी हैं, हर क्षेत्र की लोकसंस्कृति व लोकपरम्पराऐं. कमोवेश प्रत्येक लोकजीवन की अपनी-अपनी विशिष्टताऐं होती हैं,लेकिन जब पहाड़ के लोकजीवन की बात आती है... Read more
‘मेरा भी कोई होता’ एक सीधी-सादी पहाड़न की कहानी
आग जलाने के लिए चूल्हे में फूंक मार-मारकर सुशीला की आंखें लाल हो गई थीं. कमरा धुएं से भर गया था. धुएं से उसकी आंखें चूने लगी थीं. सुशीला ने खीझ के कारण जोर से फूंक मारी, आग ‘धप्प’ से जल उठी.... Read more
मुझे पतंग उड़ाना सीख लेना चाहिए था
बहुत दूर तक नहीं जाती थी पतंग मेरीपश्चिम को बहती हवा अगरदो कलाइयां मारकर गिर जातीशिशू के आंगन, अनाथालय की छत या ज़्यादा से ज़्यादा डक्टराइन आंटी के अहाते मेंहवा पूरब को होतीतो शोभा चाचा की छ... Read more
कहानी : याद
सूरज धीरे-धीरे पहाड़ी के सिर पर से अपना आँचल समेट कर पल भर को ठिठका. गहरे नीले और काले आँचल में शाम को लहरा कर आता देख मुस्कुराया और उसके लिए रास्ता बनाता धीरे से दूसरी ओर सरक गया. (Yaad sto... Read more
एक जीवी, एक रत्नी, एक सपना : अमृता प्रीतम
पालक एक आने गठ्ठी, टमाटर छह आने रत्तल और हरी मिर्चें एक आने की ढेरी “पता नहीं तरकारी बेचनेवाली स्त्री का मुख कैसा था कि मुझे लगा पालक के पत्तों की सारी कोमलता, टमाटरों का सारा रंग और ह... Read more
कहानी : मोतिया
चीड़ के पेड़ कब के पीछे छूट गये थे और अब तो ठंडी हवा और सर्पीली सड़क भी गुम हो गई. जानवरों के रेवड़ के साथ मोतिया भी घिसटता हुआ आगे बढ़ रहा था. हांकने वाले निर्दयी के डंडे की मार खाता हुआ मो... Read more
प्रेमचंद की कहानी ‘सुहाग की साड़ी’
यह कहना भूल है कि दाम्पत्य-सुख के लिए स्त्री-पुरुष के स्वभाव में मेल होना आवश्यक है. श्रीमती गौरा और श्रीमान् कुँवर रतनसिंह में कोई बात न मिलती थी. गौरा उदार थी, रतनसिंह कौड़ी-कौड़ी को दाँतो... Read more
गर्जना और विद्युत की कहानी
बहुत समय पहले गर्जना (बादलों की आवाज़) और विद्युत (आकाशीय बिजली) बाक़ी सभी लोगों के साथ धरती पर ही रहा करते थे लेकिन राजा ने उन्हें लोगों के घरों से बहुत दूर शहर के दूसरे छोर पर रहने को विवश... Read more
पीहू एक बहुत ही सुलझी हुई, समझदार, खूबसूरत और होशियार बच्ची थी और अपने माता-पिता की इकलौती सन्तान भी. बचपन से ही पीहू पढ़ाई में अव्वल थी. पढ़ाई के साथ साथ माँ का काम में हाथ बंटाना, पापा के... Read more