दोस्तो, मैं कैप्टन सुंदर चंद ठाकुर आपको कुछ ऐसा सिखाने की कोशिश कर रहा हूं जिससे आप पर्सनल ग्रोथ के रास्ते पर आगे बढ़ें और एक हेल्दी, सक्सेसफुल और ब्लिसफुल जीवन जिएं. मेरा यह मिशन है कि मैं अगले 10 सालों में 10 मिलियन युवाओं को सेल्फ ग्रोथ की राह पर ले चलूं और उन्हें माइंडफिट ग्रोथ की कम्युनिटी से जोड़ूं. मैं आप लोगों को बताना चाहता हूं कि मैंने एक Lower middle class family में जन्म लिया. मेरे पिता भारतीय सेना में सिपाही थे. वे 15 साल की कम उम्र में दसवीं पास करते ही सेना में भर्ती हो गए थे. मेरा परिवार उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र से है. To be exact I was born in Pithoragarh. A tiny little district in the hills of Himalayas. मेरे पिता आर्मी में अफसर बनना चाहते थे. उन्होंने सात बार written exam clear किया. लेकिन वह हर बार SSB Interview में रह गए. उनकी इच्छा पूरी करने की मंशा से मैंने पहले attempt में ही सीडीएस का एग्जाम पास किया और ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकेडमी, मद्रास से पासआउट होकर मैं इंडियन आर्मी में एक कमिशंड ऑफिसर बना.
यह पूरी कहानी मैंने इंदू शर्मा कथा यूके इंटरनैशनल अवॉर्ड से नवाजे जा चुके अपने उपन्यास ‘पत्थर पर दूब’ में लिखी है. आप चाहें तो इस उपन्यास जिसमें कि एक कमांडो की हैरतअंग्रेज लव स्टोरी है, को पढ़ सकते हैं. किताब का लिंक – पत्थर पर दूब.
मैं आपको बताना चाहता हूं कि हिंदी साहित्य की दुनिया में मैंने एक कवि के रूप में प्रवेश किया था. मेरी पहली किताब ‘किसी रंग की छाया’ और इसके बाद एक और कविताओं की किताब ‘एक दुनिया है असंख्य’ ज्ञानपीठ प्रकाशन से आई. मैंने एक कहानी संग्रह भी लिखा – एक डिंपल वाली लड़की और बौद्धिक प्रेमी. नाम थोड़ा अजीब है न? पर left ideology के इस लड़के की कहानी बहुत दिलचस्प है. किताब आपको वाणी प्रकाशन से मिलेगी.
अब अपनी लेटेस्ट किताब के बारे में बता दूं – ‘खुद से जीत’ जी हां, यह किताब भी वाणी प्रकाशन से पिछले ही साल आई है और इसका थर्ड एडिशन आ चुका है. किताब में मैंने अपनी रनिंग जर्नी के बारे में बताया है कि कैसे मैंने 2012 में सीधे एक फुल मैराथन दौड़कर अपनी मैराथन जर्नी की शुरुआत की थी और धीरे-धीरे कैसे मैंने अपनी स्मोकिंग की बुरी आदत से छुटकारा पाया.
दोस्तो मैराथन दौड़ने के लिए सबसे ज्यादा जिस चीज की जरूरत पड़ती है, वह है टाइम. मैं एक अखबार का संपादक हूं और लगभग रोज ही ऑफिस जाता हूं. ऑफिस के काम से कोई compromise नहीं कर सकता क्योंकि काम बहुत संवेदनशील और जिम्मेदारी वाला है. रनिंग भी करनी है, ऑफिस के काम भी करने हैं, परिवार भी देखना है, फिटनेस, योगा, माइंडफुल मेडिटेशन भी करना है, किताबें भी पढ़नी है, लगभग रोज ही क्रिकेटर उन्मुक्त चंद और बॉक्सर विमल पुनेरा को मेंटल कोचिंग भी देनी है और दो-दो यू ट्यूब चैनल के लिए content क्रिएट करते हुए अपनी नॉलेज बढ़ाने के लिए नए-नए कोर्सेज भी करने हैं. सोचिए दोस्तो, इतना सब कैसे संभव है. क्या आप बता सकते हैं कि इसके लिए किस जादुई चीज की जरूरत है. जी हां सही सोचा. इसके लिए अपने टाइम को मैनेज करने की जरूरत है. क्योंकि टाइम तो सबके पास बराबर ही रहता है. जो उसे मैनेज करता है वह ज्यादा काम कर पाता है, जो उसे मैनेज नहीं कर पाता, वह टाइम का रोना ही रोता रहता है.
दोस्तो आज मैं टाइम मैनेजमेंट पर बात करते हुए आपको अपने वे ऑरिजनज तरीके बताऊंगा जिनसे मैं अपने टाइम को थोड़ा बेहतर तरीके से मैनेज करते हुए डेली रूटीन में हाई प्रडक्टिविटी maintain करता हूं. इन तरीकों के अलावा मैं टाइम मैनेजमेंट की आजकल प्रचलित दूसरी techniques भी आपको बताने वाला हूं. कृपया नोट्स जरूर लें ताकि आप उन्हें रिवाइज कर सकें और ये techniques आपकी रूटीन का भी हिस्सा बन सकें. यह सब मैं आपको नौ हिस्सों में पताऊंगा.
दोस्तो रात को सोने से पहले अगर आप अगले दिन सुबह के जरूरी काम लिख लें और उनका टाइम सेट कर दें, तो सुबह उठने के बाद आपको सोचने और प्लान करने की तकलीफ नहीं उठानी पड़ेगी. आप सुबह उठते ही रात को सोचे गए कामों की लिस्ट के मुताबिक सिलसिलेवार काम करना शुरू कर देंगे. मैंने बहुत से लोगों को देखा है कि वे सुबह उठने के बाद यही डिसाइड नहीं कर पाते कि वे क्या काम करें. मैंने जिम में ऐसे लोगों को देखा है जो घंटे-घंटे तक वहां रहते हैं और जो मशीन खाली हो उसी पर चढ़ हाथ-पांव हिलाने लगते हैं, जो बंदा सामने आ जाए उसी से गप मारने लगते हैं. नतीजा यह कि वे आज भी उतना ही बड़ा पेट और वैसी ही धंसी हुई चेस्ट लिए बैठे हैं, जैसी कि दो साल पहले लिए फिरते थे.
दोस्तो सुबह का समय गोल्ड से भी ज्यादा मूल्यवान है क्योंकि सुबह के समय का आप अगर अपनी ग्रोथ के लिए इस्तेमाल करने लगे, तो आप गोल्ड से ज्यादा कीमती हो जाओगे क्योंकि पैसा ही इतना कमाने लगोगे. सुबह उठकर आप कौन सा योग करेंगे, बॉडी के किस पार्ट के लिए जिम वर्कआउट करेंगे, कौन-सी किताब के कितने पन्ने पढ़ेंगे, कितनी देर का ध्यान करेंगे, ध्यान के बाद कौन-सा प्राणायाम करेंगे. यह सब रात को ही तय कर लेंगे, तो सुबह सोचने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी. कई बार मैं अपने यूट्यूब विडियो सुबह उठने के बाद शूट करता हूं. लेकिन इसके लिए रात को ही प्लान कर लेता हूं. जब आप लिखकर अपने काम की लिस्ट बनाते हैं तो लाइफ की हर जरूरत के बीच बैलेंस बनाते हुए काम कर पाते हैं जिससे आपकी लाइफ ज्यादा तेज स्पीड से ग्रोथ के रास्ते पर बढ़ती है.
सुबह के काम पूरे होने के बाद आपकी दिन भर के कामों की भी लिस्ट तैयार होनी चाहिए. कौन-कौन सी जरूरी मीटिंग करनी हैं. किस-किस से मिलना है. कितनी देर मिलना है. कॉलेज में हैं तो वहां के क्या कमिटमेंट्स हैं. काम करते हैं तो ऑफिस के क्या कमिटमेंट्स हैं. जब आप इस तरह अपने कामों की लिस्ट बनाते हैं तो आप अपने अवचेतन, subconscious mind को भी संदेश भेज रहे होते हैं कि आपका टाइम बहुत कीमती है. You cannot afford to waste time and in return your subconscious mind controls your behavior. I guide you about how much time you need to invest in a particular work.
जब भी आप ऐसा करते हैं दोस्तो, तो आपके 24 घंटे दूसरों के 48 घंटों के बराबर हो जाते हैं. जाहिर है कि आपके पास अगर दूसरों से दोगुना काम है, तो आप दोगुनी ग्रोथ भी करेंगे. तो दोस्तों दूसरों की ग्रोथ से चिढ़ना बंद करें, तुलना करना छोड़ें. तुलना वे करेंगे अगर आप रोज अपने लिए जरूरी काम की लिस्ट बनाने लगेंगे तो. आप करके तो देखें. दस दिन में ही आपको फर्क लग महसूस हो जाएगा कि अब आप दूसरों से ज्यादा तेज ग्रोथ करने लगे हैं क्योंकि आप 24 घंटे में उनसे ज्यादा हाई क्वॉलिटी काम कर पाते हैं.
दोस्तो अमेरिकी प्रेजिडेंट डूविलाइट आइजनहावर के नाम पर बनी इस टेक्नीक में हम अपने काम को अपनी प्राथमिकता अपनी प्रायोरिटी के हिसाब से चार हिस्सों की मैट्रिक्स में तोडे देते हैं. पहला हिस्सा- पहला हिस्सा होता है Do First का यानी इसमें ऐसे काम होते हैं जो बहुत जरूरी होते हैं जिन पर तुरंत ध्यान दिए जाने की जरूरत होती है. अपने लक्ष्यों को पाने के लिए इन कामों को पूरा करना जरूरी होता है. इन कामों को तुरंत करें.
दूसरा हिस्सा – Not urgent यानी तुरंत करने की जरूरत नहीं. दूसरा हिस्सा होता है Schedule का. ये वे काम होते हैं जो आपके लासॅन्ग टर्म गोल के लिए जरूरी होते हैं लेकिन इन्हें किसी टाइम फ्रेम के भीतर करने की पाबंदी नहीं होती. इन कामों को प्रोक्रेस्टिनेट न करें बल्कि इनके लिए टाइम सुनिश्चित करें.
तीसरा हिस्सा – Urgent, but not important. यह हिस्सा हसोता है Delegate करने वाले कामों का. इन्हें करना जरूरी है लेकिन ये आपके लिए बहुत ज्यादा महत्व का नहीं है. यानी आप इस कैटेगरी में आने वाले कामों को दूसरों को Delegate कर सकते हैं. दूसरों को delegate कर आप अपने लिए समय बचा पाते हैं और उसमें ज्यादा जरूरी काम करते हैं.
चौथा हिस्सा- Not Urgent, Not Important – इस हिस्से के काम Eliminate की श्रेणी में आते हैं क्योंकि ये काम न तो जरूरी होते हैं न इनका कोई महत्व होता है. ऐसे कामों को हटाकर आप अपने समय को ज्यादा जरूरी और ज्यादा महत्वपूर्ण काम के लिए बचा पाते हैं.
दोस्तो यह मेरी सबसे पसंदीदा टेक्नीक है. इसमें आप कोई भी काम 25-25 मिनट के टुकड़ों में करते हो. 25 मिनट काम और फिर 5 मिनट आराम. यह 5 मिनट का आराम आपके माइंड को फ्रेश कर देता है और आप ज्यादा focus और concentration से काम कर पाते हो. हर चार राउंड यानी दो घंटे के बाद आपको आधे घंटे का ब्रेक लेना है. स्टूडेंट्स के लिए पढ़ाई करने का यह बहुत ही बेहतरीन और प्रभावी तरीका है.
इस तरीके में अलग-अलग कामों के लिए हम टाइम के अलग-अलग ब्लॉक सेट कर लेते हैं और उन ब्लॉक्स में उन्हीं कामों को करते हैं. इससे हमारा जरा भी टाइम फालतू कामों में बर्बाद नहीं होता. समझ लो कि समय के नीबू को आप एकदम बूंद-बूंद निचोड़ लेते हो.
दो मिनट वाले टाइम मैनेजमेंट की इस टेक्नीक में आप हर वह काम जिसमें दो मिनट से कम टाइम लगता है, उन्हें याद आते ही तुरंत कर लोगे. कोई बिल देना है ऑनलाइन, कोई किताब मंगानी है, किसी शब्द का मीनिंग या pronunciation check करना है या कुछ और. दो मिनट से कम समय लेने वाले काम को टालना नहीं है.
टाइम मैनेजमेंट में काम की प्रायोरिटी सेट करना सबसे जरूरी है. 80/20 rule जिसे Parito Principle भी कहते हैं, बताता है कि हमारे 80 पर्सेंट रिजल्ट हमें अपने 20 पर्सेंट effort से मिलते हैं. तो ऐसे कामों की पहचान करो जो तुम्हारे लक्ष्यों को पाने में सबसे ज्यादा contribute करते हैं. ऐसा करोगे तो पाओगे कि जल्दी ही तुम्हारी efficiency बढ़ने लगी है.
एक ऐसे समय में जबकि हम लगातार बाहरी दुनिया के संपर्क में बने रहते हैं और सूचनाओं को consume करते रहते हैं, डिजिटल डिटोक्स और mindfulness बढ़ाने वाली techniques टाइम मैनेजमेंट के लिए बहुत जरूरी हैं. जितना आपका दिमाग शांत रहेगा आप उतना ही प्रभावी तरीके से और उतना ही क्वॉलिटी के काम कर पाओगे.
दोस्तो यह बहुत जरूरी है कि हम अपनी टाइम मैनेजमेंट strategies का रिव्यू करते रहें और देखते रहें कि कौन सी techniques हमारे लिए काम कर रही हैं और कौन सी नहीं. थोड़ा बहुत एडजस्टमेंट करने की जरूरत पड़ सकती है. लगातार सुधार से ही लम अपने लिए long term success सुनिश्चित कर सकते हैं.
तो दोस्तो, ये नौ पॉइंट्स थे टाइम मैनेजमेंट के. हमने इसमें आजकल बड़ी-बड़ी कंपनियों के सीनियर एक्जीक्यूटिव्स और CEOs द्वारा इस्तेमाल की जा रही techniques को बताया है. इन तरीकों के इस्तेमाल से आप भी बड़ी कंपनी के सीईओ बन सकते हैं. याद रखो कि बड़ी बात ज्यादा करना नहीं बल्कि वह करना है जो तुम्हारे लिए, तुम्हारी सफलता के लिए ज्यादा जरूरी है. अगर तुम्हें इस विडियो से मदद मिली, मेरा कॉंटेंट पसंद आया, तो थंब्स अप जरूर करें. चैनल को सब्सक्राइब कर मेरे साथ जुड़ें. हम साथ-साथ आगे बढ़ेंगे. मेरा मिशन है 10 million युवाओं से जुड़ना और उन्हें सफल, हेल्दी और आनंद से भरा जीवन जीने में मदद करना.
कृपया मुझे कमेंट बॉक्स में बताएं कि आप टाइम मैनेजमेंट की कौन सी technique use करने वाले हैं. मैं कैप्टन सुंदर चंद ठाकुर आपको दो दिन बाद फिर मिलूंगा. अगले विडियो के साथ. तब तक इन techniques का अभ्यास करें और टाइम बिल्कुल बर्बाद न करें. टाइम इज गोल्ड पुरानी बात है. मैं कहता हूं कि समय ही जीवन है. जीवन बर्बाद न करें. माइंडफिट ग्रोथ चैनल में आने और विडियो देखने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद. मन में तो मुमकिन है.
सुन्दर चन्द ठाकुर
कवि, पत्रकार, सम्पादक और उपन्यासकार सुन्दर चन्द ठाकुर सम्प्रति नवभारत टाइम्स के मुम्बई संस्करण के सम्पादक हैं. उनका एक उपन्यास और दो कविता संग्रह प्रकाशित हैं. मीडिया में जुड़ने से पहले सुन्दर भारतीय सेना में अफसर थे. सुन्दर ने कोई साल भर तक काफल ट्री के लिए अपने बचपन के एक्सक्लूसिव संस्मरण लिखे थे जिन्हें पाठकों की बहुत सराहना मिली थी.
इसे भी पढ़ें: इसे सुनकर आप काम टालना बंद कर देंगे
काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें
लम्बी बीमारी के बाद हरिप्रिया गहतोड़ी का 75 वर्ष की आयु में निधन हो गया.…
इगास पर्व पर उपरोक्त गढ़वाली लोकगीत गाते हुए, भैलों खेलते, गोल-घेरे में घूमते हुए स्त्री और …
तस्वीरें बोलती हैं... तस्वीरें कुछ छिपाती नहीं, वे जैसी होती हैं वैसी ही दिखती हैं.…
उत्तराखंड, जिसे अक्सर "देवभूमि" के नाम से जाना जाता है, अपने पहाड़ी परिदृश्यों, घने जंगलों,…
शेरवुड कॉलेज, भारत में अंग्रेजों द्वारा स्थापित किए गए पहले आवासीय विद्यालयों में से एक…
कभी गौर से देखना, दीप पर्व के ज्योत्सनालोक में सबसे सुंदर तस्वीर रंगोली बनाती हुई एक…