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अभी होली आने में तीन माह शेष हैं लेकिन कुमाऊं में होली के रंग बिखरने शुरू हो चुके हैं. बीता रविवार पौष माह का पहला रविवार था और इसी इतवार से कुमाऊं में होली का रंग जमना शुरू हो चुका है. पौष माह स्थानीय बोली में पूस का महिना कहलाता है इसी पूस के पहले इतवार के दिन से कुमाऊं में होली की शुरुआत की रवायत रही है.
(Baithki Holi Kumaon 2024)
पूस के पहले इतवार से लेकर छलड़ी तक कुमाऊं में होली का रंग जमेगा. होली का यह रंग गांव-कस्बे के किसी नियत स्थान में सायंकाल की बैठकी से शुरू होकर धीरे-धीरे लोगों के घरों में पहुंचेगा. निर्वाण और भक्ति से शुरू हुई इस होली में बसंत के बाद रंग भरी होलियों का माहौल होगा. शिवरात्रि के बाद होली श्रृंगार बोलेगा. उत्सव के रंग में रंगे कुमाऊनी लयबद्ध कदमों में नृत्य करेंगे और आशीष और विदाई गीतों के साथ इस उत्सव का समापन होगा.
कुमाऊं में बैठकी होली के इतिहास के संबंध में कहा जाता है कि उन्नीसवीं शताब्दी के प्रारम्भ में बैठकी होली गायन की शुरुआत अल्मोड़ा में मल्ली बाजार स्थित भगवान हनुमान के मंदिर से हुई.
(Baithki Holi Kumaon 2024)
अल्मोड़ा, चंपावत, पिथौरागढ़, बागेश्वर, हल्द्वानी समेत पूरे कुमाऊं में बैठकी होली की शुरुआत बीते रविवार को हो चुकी है. कभी पूरे कुमाऊं में चलने वाली इस रवायत का सीमित रूप में देखा जा सकता है.
अल्मोड़ा हुक्का क्लब जैसे कुछ संस्थान आज भी हैं जो पूरी सिद्दत से इस रवायत को निभाते हैं. बीते रविवार हर बरस की तरह अल्मोड़ा हुक्का क्लब में गुड़ की भेली तोड़कर बैठकी में शामिल कलाकारों और श्रोताओं के बीच बांटी गयी. अल्मोड़ा हुक्का क्लब में ‘शिव सुमरिन जिन्ह जाना, सोइ नर ब्रह्म समाना… के साथ होली का आगाज हुआ.
(Baithki Holi Kumaon 2024)
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