अब सेना के चिकित्सक सामान्य नागरिकों का भी इलाज करेंगे. शनिवार को राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी के अनुरोध पर रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने सेना के डॉक्टरों के आम जनता का इलाज करने पर सैद्धांतिक सहमति दे दी.
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख और उत्तराखंड से राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी ने उत्तराखंड की जनता को स्वास्थ्य के क्षेत्र में बड़ी सौगात दी है.अर्धसैनिक बलों के चिकित्सकों द्वारा भी उपचार मिले इस सम्बन्ध में बलूनी रविवार को गृहमंत्री राजनाथ सिंह से भी मिलेंगे.
इस व्यवस्था के तहत प्रदेश में सभी मिलिट्री हॉस्पिटल के अलावा फील्ड हॉस्पिटल, सेक्शन हॉस्पिटल और जनरल हॉस्पिटल के चिकित्सक इलाज के लिए उपलब्ध होंगे.जल्द ही सेना के अस्पतालों में रोजाना एक घंटे आम जनता को ओपीडी (बाह्यरोगी विभाग जैसी) सुविधा मिलेगी.
गौरतलब है किउत्तराखंड में चिकित्सकों की भारी कमी है. आंकड़ों पर गौर करें तो प्रदेश में 2775 चिकित्सकों की जरूरत है. इसके मुकाबले केवल 1081 चिकित्सक ही उपलब्ध हैं. अभी 1634 डॉक्टर और चाहिए. लैंसडोन, हर्षिल, रुद्रप्रयाग, जोशीमठ, रानीखेत, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़ व धारचूला में मिलिट्री हॉस्पिटल है,जिस से स्थानीय ग्रामीणों को बेहद फायदा होगा.
इस से पूर्व में राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी ने राज्य के पर्वतीय जिलों में सांसद निधि से हर साल दो से तीन इंटेंसिव केयर यूनिट (आइसीयू) के निर्माण के लिए धन देने की घोषणा की थी.
राज्य गठन के सालों बाद भी राज्य के दुर्गम क्षेत्रों में गंभीर रोगियों, घायलों और प्रसूताओं के लिए उपचार न होने से उन्हें हायर सेंटर तक पहुंचने में दिक्कतों से जूझना पड़ रहा है. उचित प्राथमिक उपचार नहीं मिलने से कई रोगी रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं.
हाल ही में सरकार ने 478 चिकित्सकों की भर्ती की थी, जिसमें से आधे डॉक्टरों ने ही ज्वाइन किया है. इसी प्रकार, प्रदेश में 133 दंत चिकित्सकों में से 64 उपलब्ध हैं और 69 की जरूरत है. प्रदेश में वर्तमान में 285 स्पेशलिस्ट डॉक्टर ही उपलब्ध हैं. जिन चिकित्सकों ने ज्वाइन नहीं किया है .उनकी नियुक्ति को रद्द कर सरकार पुनः उन पदों पर नियुक्ति के लिए आयोग को प्रस्ताव देगी.
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