पहाड़ की सैर पर आने वाले पर्यटकों को अक्सर ही पौधा जब नजर आता है उनके चेहरे के हावभाव देखने लायक होते हैं, इस पौधे को देखते ही उन्हें कंपकपी सी छूट जाती है. आम बोलचाल की भाषा में हम इसे सांप के भुट्टे का पौधा नाम से ही जानते हैं. हालांकि इस पौधे के बारे में स्थानीय लोगों को कम ही जानकारी है और वे महज इसे एक जहर मान दूर ही रहते हैं. किवदंती कहें या भ्रम लेकिन आमधारणा है कि इस पौधे पर लगने वाले भुट्टे को सांप ही खाता है, हालांकि ऐसी कोई तस्वीर या प्रमाण मांगे जाने पर लोग चुप्पी साध लेते हैं.
खैर, यह पौधा बरसात के वक़्त आपको आसानी से देखने को मिल जाएंगे. घरों के आस-पास दिखने पर ग्रामीण इन पौधों को तुरंत काट कर फेंक देखते हैं. बच्चों को इस पौधे से दूर ही रहने की हिदायत दी जाती है. वैज्ञानिक भी प्रमाणित करते हैं कि यह पौधा खतरनाक और जानलेवा हो सकता है. परन्तु कोबरा की तरह फन फैलाये दिखने वाला यह पौधा अपने आप में औषधीय गुण भी लिए है. इसलिए अबकी बार जब पौधा दिखे तो डरे नहीं.
केंद्रीय शीतोष्ण बागवानी संस्थान में कार्यरत संस्थान प्रभारी डॉ राज नारायण बताते हैं कि इस पौधे का वानस्पतिक नाम अरीसेमा ट्रीफाइलम (Arisaema triphyllum) है और इसे विश्व में अलग -अलग नाम से जाना जाता है जैसे— जैक इन दा पलपीट, बिगअनियन यानी बड़ा प्याज़, इंडियन टर्निप, ब्राउन ड्रैगन, वेक रोबिन, वाइल्ड टर्निप. इस पौधे की एक पत्ती तीन हिस्सों में बटी होती हैं, प्रत्येक पत्रक 8-15 सेमी लंबी और 3-7 सेमी चौड़ी होती है . कोबरा सांप रूपी फन फैलाये यह पौधा धीरे-धीरे एक हरे रंग के भुट्टे में बदल जाता है और पकने पर लाल हो जाता है. इसमें कैल्शियम ऑक्सालेट क्रिस्टल पाया जाता है, जिसे अगर मनुष्य या कोई जीव खा ले तो उसकी मौत तक हो सकती है. इसकी वजह यह है कि कैल्शियम ऑक्सालेट क्रिस्टल गठन भी एथिलीन ग्लाइकोल विषाक्तता के जहरीले प्रभाव से में से एक है. इसके सेवन से जीभ पर चुभन, सनसनी, मुंह से झाग, गले में सूजन और पाचन तंत्र में जलन पैदा हो सकती है. व्यक्ति का दम घुटने लगता है और यदि ज्यादा मात्रा में खा लिया तो मौत तक हो सकती है.
इस पौधे की जड़ एक सब्जी के रूप में अमेरिका के लोगों द्वारा इस्तेमाल की जाती है. इसकी जड़ से आँखों के इलाज हेतु दवाई बनाने के साथ, गठिया, ब्रोंकाइटिस, सर्प के काटने का इलाज करने व बाँझपन दूर करने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है.
फिलहाल भारत अभी तक इस पौधे पर अनुसन्धान नहीं कर रहा है. इस पौधे पर अनुसन्धान किया जाना चाहिए ताकि इसके औषधीय गुणों का लाभ भारत के लोगों को भी मिल पाए और यह पौधा आने वाले समय मे लोगों की आय का साधन बन सके.
हल्द्वानी में रहने वाले भूपेश कन्नौजिया बेहतरीन फोटोग्राफर और तेजतर्रार पत्रकार के तौर पर जाने जाते हैं.
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1 Comments
Arun
Sir mene ise thoda sa glti se kha liya h ab me kya karu please fast answer please help me sir