उत्तराखण्ड में जिला पिथौरागढ़ के धारचूला के सीमान्त गांव खोतिला की अनिता बिटालू का चयन राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के लिए हुआ है. तीन हजार कलाकारों ने इस साल राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय की प्रवेश परीक्षा में भाग लिया. इनमें से 250 प्रतिभागी अंतिम चरण की विभिन्न परीक्षाओं के लिए चुने गए और आखिरकार सत्र-2022 के लिए कुल 26 प्रशिक्षुओं का चयन हुआ, अनिता बिटालू इनमें से एक हैं. इतना ही नहीं इन 26 में से भी अनिता ने 9वां स्थान हासिल किया है. (Anita Bitalu of Pithoragarh)
राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी) दुनिया के अग्रणी नाट्य प्रशिक्षण संस्थाओं में से एक है. यह भारत में अपनी तरह का इकलौता संस्थान है. एक बार राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में चयन रंगमंच से जुड़े हर कलाकार का सपना होता है.
अनिता बिटालू का जन्म पिथौरागढ़ जनपद के धारचूला क्षेत्र के खोंतिला गांव के एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ. प्राथमिक शिक्षा उन्होंने गांव के ही सरकारी स्कूल से प्राप्त की, उसके बाद जी. जी. आई. सी. धारचूला से बारहवीं पूरी करने के बाद बीएससी करने के इरादे से उन्होंने एलएसएम पी. जी. कॉलेज पिथौरागढ़ में दाखिला ले लिया.
कॉलेज की पढ़ाई के दौरान उनका इरादा शिक्षिका बनने का था. पढ़ाई के साथ अनिता खेल और संगीत में भी दखल रखती थीं. इन्हीं दिनों एक स्पोर्ट्स इवेंट में आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में उन्हें गाते देख पर्वतारोही मनीष कसनियाल ने उन्हें थिएटर गतिविधियों में भागीदारी करने की सालाह दी. सो 2014 में अनिता बिटालू ने पिथौरागढ़ की थिएटर गतिविधियों में भागदारी शुरू की. ‘भाव राग ताल नाट्य अकादमी’ के लिए ‘उरुभंगम’ उनका पहला नाटक था, नाटक के निर्देशक थे कैलाश कुमार. शौक परवान चढ़ा तो अनिता ने भाव राग ताल नाट्य अकादमी, अनाम संस्था, थिएटर फॉर मास कम्युनिकेशन आदि के साथ रंगमंच किया. शौक कब जुनून में बदल गया पता नहीं और अनिता ने रंगमंच को अपना भविष्य बनाने के बारे में तय किया. उन्होंने अब सारे समय थिएटर सोचना और करना शुरू कर दिया.
उड़ान भरने के लिए आकाश छोटा पड़ा तो अनिता ने भी देश के सर्वोच्च नाट्य संस्थान में दाखिले के लिए हाथ आजमाने के बारे में सोचा. 2018 में मध्य प्रदेश स्कूल ऑफ ड्रामा, भोपाल के आठवें सत्र के लिए उनका चयन हो गया. यहां उन्होंने निर्देशन, अभिनय के साथ अन्य मंचीय गतिविधियों में भी एक साल का प्रशिक्षण प्राप्त किया. मध्य प्रदेश में प्रशिक्षण लेने के दौरान अनिता बिटालू को देवेंद्र राज अंकुर, आलोक चटर्जी, बापी बोस, संजय उपाध्याय, सूर्यमोहन कुलश्रेष्ठ, मुस्ताक काक, वी. ओ.एफ. वर्मा, श्री ओम प्रकाश शर्मा और जफर संजारी जैसे दिग्गज निर्देशकों के साथ काम करने और उनसे रंगमंच की बारीकियां सीखने का मौका मिला.
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ऐसा नहीं है कि अनिता को अपने इस सफ़र में मुश्किलों का सामना नहीं करना पड़ा. थिएटर आर्टिस्ट के रूप में अपने भविष्य को आकार देने का फैसला लेने के बाद उन्हें पारिवार व सामाज के विरोध का सामना भी करना पड़ा. एक मध्यमवर्गीय परिवार की लड़की के लिए अपने मन मुताबिक करियर का चुनाव करना ही मुश्किल होता है फिर यहां तो थिएटर का चुनाव किया गया था जिसकी इजाजत लड़कों तक को आसानी से नहीं मिला करती. ग्रेजुएशन के बाद पढ़ाई छोड़ घर से दूर थिएटर करियर सँवारने के दौरान उन्हें घर वालों के साथ-साथ रिश्तेदारों और पड़ोसियों के दबाव को भी झेलना पड़ा. शुरुआती दौर में जब वे कॉलेज के गर्ल्स हॉस्टल में रहती थीं तब भी वह नवोदय पर्वतीय कला केन्द्र, दर्पण कला मंच से भी जुड़ी थीं. उस समय भी उन्हें हॉस्टल से रंगमंच के लिए ज़्यादा समय नहीं दिया जाता था. देर रात हॉस्टल से बाहर रहने की पाबन्दी थी, तो उन्हें हॉस्टल छोड़ एक आश्रम में रहना पड़ा था. कुछ समय बाद उन्होंने पिथौरागढ़ में ही किराये पर एक कमरा लिया और खर्च जुटाने के लिए थिएटर के साथ-साथ स्कूल में पढ़ाना भी शुरू किया और अपनी पढ़ाई भी जारी रखी. इन सब मुश्किलों और चुनौतियों को पार कर आज अनिता सफलता के उस मुक़ाम पर खड़ी हैं जहां होना किसी के लिए भी गर्व की बात है.
राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में चयन की राह भी इतनी आसान न थी. इसके लिए अनिता ने कई कोशिशें हीं. 2016, 2017 फिर 2019 में उन्होंने अनिता ने आवेदन किया हर बार इंटरव्यू की बाधा पार कर लेने के बाद भी अंतिम चरण में वे बाहर हो जाती थीं.थोड़ा निराशा से गुजरने के बाद अनिता दोबारा दूने जोश के साथ राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में दाखिल होने का अपना ख्वाब मुकम्मल करने में जुट जाती थी. आखिरकार चौथी दफा 2021 में उनका जुनून रंग लाया और वे चुन ली गयीं. अनिता बिटालू की आँखों में पल रहा यह सपना पिथौरागढ़ और उत्तराखंड के हर उस युवा का सपना है जो रंगमंच में अपना भविष्य तलाश रहा है. पिथौरागढ़ जैसे शहर है में सुविधाओं और मौकों की कमी होने के बावजूद भी कई ऐसे सांस्कृतिक मंच और कलाकार हैं जो न पिथौरागढ़ बल्कि पूरे देश में सफलता का परचम लहराने की काबिलियत और इरादा रखते हैं.
गौरतलब है; नवाजुद्दीन सिद्दीकी, शाहरुख खान, नसीरुद्दीन शाह, शांतनु बोस, पंकज त्रिपाठी, एमके रैना, अनुपम खेर, इरफ़ान खान, नीना गुप्ता, ओमपुरी, आशुतोष राणा, रघुवीर यादव, राज बब्बर, तिग्मांसु धूलिया, रत्ना पाठक शाह, मीता वशिष्ठ, दीपा शाही, पंकज कपूर जैसे कलाकार इसी नाट्य विद्यालय से प्रशिक्षित हैं.
उत्तराखण्ड से भी ललित तिवाड़ी, नीरज शाह, सुदर्शन जुयाल, ईशान त्रिवेदी, विकास महाराज, सुनीता अवस्थी, इद्रीस मलिक, निर्मल पाण्डे, सुवर्ण रावत, योगेश पंत, ज्ञान प्रकाश, सुमन वैद्य, सुनीता चन्द, ममता भट्ट, गोपाल तिवारी, अहसान बख्श, हेमा बिष्ट, दाऊद हुसैन आदि कलाकारों ने राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय से प्रशिक्षण हासिल कर थिएटर और फ़िल्मों की दुनिया में अपना मुक़ाम बनाया है. इसी कड़ी में पिथौरागढ़ के दुर्गम इलाके की अनिता बिटालू का नाम भी जुड़ गया है.
(अनिता बिटालू से भूमिका पाण्डेय की बातचीत के आधार पर)
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पिथौरागढ़ में रहने वाली भूमिका पाण्डेय समाजशास्त्र और मनोविज्ञान की छात्रा हैं. लेखन में गहरी दिलचस्पी रखने वाली भूमिका पिथौरागढ़ डिग्री कॉलेज की उपाध्यक्ष भी रह चुकी हैं.
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