योर्कशायर के मूल निवासी इस खिलाडी को कमेंटेटर बनने के बाद भारतीय क्रिकेट प्रेमी, खराब खेल को ‘रूबिश’ कहकर गरियाने की उनकी अदा के बाद से ज्यादा बेहतर जानने लगे थे. लगातार विवादों में घिरे रहने वाले सर जेफ्री बायकाट ने अपने कैरियर के सर्वश्रेष्ठ काल में तीस टेस्ट फकत इस जिद पर नहीं खेले कि रे इलिंग्वर्थ के बाद इंग्लैंड की कप्तानी उनके बजाय माइक डेनेस को सौंप दी गयी. अगर वे इन तीस मैचों को खेले होते तो निस्संदेह टेस्टों में दस हजार रन बनाने वाले पहले खिलाडी बनते.
सर जेफ्री बायकाट का ‘ब्लैक ह्यूमर’ सारे क्रिकेट जगत में विख्यात और कुख्यात है.
बात 1972 की है. मिडिल्स्बरो में यॉर्कशायर का काउंटी मैच ग्लोस्टरशायर से चल रह था. सर जेफ्री बायकाट योर्कशायर के कप्तान थे. उनकी टीम के माइकेल बोर अक्सर सर जेफ्री के मजाक और गुस्से का शिकार बनते थे. कुछ ऐसी स्थिति बनी कि योर्कशायर ने अपना एक खिलाडी ग्लोस्टरशायर को फील्डिंग के वास्ते उधार देना था. माइकेल बोर जब फील्डिंग करने पहुंचे तो सर जेफ्री 68 पर खेल रहे थे. बोर के आते ही प्रोक्टर की गेंद को सर जेफ्री ने हुक किया और बोर साहब ने लॉन्ग लेग पर ज़बरदस्त कैच ले कर खुद अपने कप्तान को आउट कर दिया.
बोर को चाहिए था कि निखिद्द कुत्ते की तरह बाउन्ड्री पर खडे रहते लेकिन वे चेहरे पर बढ़िया मुस्कान सजाये ग्लोस्टरशायर के खिलाडियों के साथ जश्न में शामिल हो गए. जब माइकेल बोर ड्रेसिंग रूम में पहुंचे तो उन्होंने देखा कि गुस्साए कप्तान ने उनकी पूरी किट ग्लोस्टर्शायर के ड्रेसिंग रूम में ले जा कर फेंक दी थी.
तस्वीर के बारे में
यह तस्वीर 1981-82 सत्र में दिल्ली टेस्ट के दौरान पड़े क्रिसमस की फैंसी ड्रेस पार्टी की है. बॉथम के सीने पर लिखा हुआ 8032 बताता है कि पिछले ही दिन सर जेफ्री ने लंबे समय से कायम सर गैरी सोबर्स के 8032 टेस्ट रन बनाने के कीर्तिमान को धूल चटाई थी. इस ड्रा मैच में सर जेफ्री ने शतक बनाया था. सर जेफ्री के बारे में एक और दिलचस्प तथ्य यह है कि पहले अंतर्राष्ट्रीय एक दिवसीय मैच की पहली गेंद का सामना उन्होने ही किया था और इस तरह की क्रिकेट में गिरने वाला पहला विकेट भी उन्ही का था.
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