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1 Comments

  1. Anonymous

    रयाल साहब की लेखनी का कोई जवाब नहीं यह लेख भी एक उदाहरण ही है क्योंकि बचपन से अब तक आखेट और शिकारियों पर पढ़ी गई सैकड़ों कहानियों में केवल शिकारी के शिकार करने के तौर तरीकों का रहस्यमय तरीके से वर्णन हुआ करता था । लेकिन यह पहली मानव जनित घटना को रयाल जी के बेहतरीन शब्द सुमन से इस लेख के माध्यम से यह बताया है कि, शिकारी भी शिकार हो सकता है, और आखेटक का भी आखेट हो सकता है और यह कहानी बड़ी ही दिलचस्प है हम आशा करते हैं कि काफल ट्री ऐसे लेखकों से जुड़े रहने का हमें अवसर प्रदान कराता रहेगा।

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