कालिदास ने हिमालय को देवतुल कहा है. पुराणों में देवलोक की कल्पना भी हिमालय के कैलाश-मानसरोवर पथ के मध्य कहीं की है. देवताओं के कोषाध्यक्ष, कुबेर की नगरी अलकापुरी भी कैलाश के निकट ही बताई गई है. यहीं पौराणिक नंदन बन भी है, जहां पारिजात वृक्षों के बन भ... Read more
लोगों के नौनिहाल स्कूल पढ़ने जाते और गब्दू गुएरों (ग्वालों) के साथ गुच्छी खेलने सामने के चरागाह पर जाता. लोगों के बच्चों ने सीखा पढ़ना लिखना. गब्दू ने सीखा गाड़ (छोटी नदी) की गडियाल (मछली) मारना और जंगल की कलझींट पकड़ना. औरों के बच्चों ने कक्षाएं पास... Read more
केशरू एक गुट्मुटी और बेडौल कद काठी का भोला भाला इंसान था. मेरी कैलकुलेशन के हिसाब से वह लगभग पौने फिट का भी क्या रहा होगा. हो भी सकता है कि मेरे अनुमान में एकाद इंच की घट बढ़ रही होगी. लेकिन गरीब और मेहनतकश समाज में उसका जन्म हुआ था. कहते हैं कि अरब... Read more
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये क्लिक करें – Support Kafal Tree जब हम असभ्य थे, मूर्ख थे तब हम प्रकृति का सम्मान करते, उसे पूजते और प्रकृति सम्मत जीवन जी रहे थे. अब सभ्य हैं ज्ञानवान हैं प्रकृति का अनादर और अवहेलना कर रहे हैं. ज्ञान की दुकानें क्य... Read more
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये क्लिक करें – Support Kafal Tree जब शिवानी जब पहली-2 बार ससुराल आई तो ऐसी थी, जैसे कि हिसर (एक पहाड़ी मीठा खूबसूरत फल) की डली सी. पानी से भी पतली. धुएं से भी हल्की. जो जमीन पर भी न ठहरती! न ही हाथों से थमती. गोल मटोल... Read more
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये क्लिक करें – Support Kafal Tree उन सम्मोहक और छलछलाते हुए कामरस से ओत-प्रोत दिव्य नारी स्वरूपों को आप कहेंगे जो किसी सुरम्य शिखर और पुष्पित उपत्यका, शांत सरोवर या गिरिवन में प्रकट होकर किसी सुन्दर युवक का अपहरण कर ग... Read more
उत्तर रेलवे के कोटद्वार स्टेशन से 42 कि०मी० पुरातन शहर दुगड्डा से 27 कि०मी० उत्तर में 136 पुरानी छावनी युक्त एक छोटा किन्तु सुन्दर नगर लेन्सडौन लगभग 1780 मी० की ऊंचाई पर बसा है. लैन्सडोन का समस्त गढ़वाल के जनजीवन से एक अटूट सम्बन्ध है. स्वतंत्रता से... Read more
अल सुभह गांव के चौराहे वाले चबूतरे पर ननकू नाई उकड़ूं बैठकर अपने औजारों की सन्दूकची खोजने ही जा रहा था कि मिट्ठू आन पहुंचा.(Story by Bhagwati Prsaad Joshi) – राम-राम ननकू भाई – राम राम भाई मिट्ठू, बोल कोई काम? – बाल बनवाने हैं मूंड... Read more
बैंगनी, भूरे और नीलम पहाड़ियों के बीच रूपा नदी ने एक सुरम्य घाटी बना दी थी. हरे-भरेधान के खेतों के मध्य एक छोटा सा सुंदर गांव, नाम था देवी सैंण. आधुनिकता तथा कृत्रिम वातावरण से दूर लगता. कलयुग का अर्थ पिचाश वहां अभी नहीं पहुंचा था. सर्वत्र सतयुग का र... Read more
अपने भाग्य पर आंशू बहती पौड़ी उत्तर प्रदेश के बारह प्रशासनिक मण्डलों में एक से एक गढ़वाल मंडल का मुख्यालय है पौड़ी गढ़वाल मंडल से पर्यटक, यात्री और पर्वतारोही उसकी गंगा यमुना सी महान नदियों के मातृलोक (मायके) बदरी केदार सरीखे धाम, भारत के सर्वोच्च हि... Read more