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5 Comments

  1. Manisha verma

    बेटे की चाहत का नशा घर ही नहीं उजाड़ रहा बल्कि बेटियों की संख्या भी उजाड़ रहा है

  2. Gokul Kandpal

    बेहतरीन प्रस्तुति ! पहाड़ के‌ दर्द को आपने अपनी कलम से उकेरा है।

  3. Santosh Dhyani

    बहुत सुंदर… बेटे की चाह जिंदगी तबाह

  4. Zafar Aalam

    इस पहाड़ी बोली का हिन्दी मे भी अनुवाद करना था

  5. Krishna

    सुंदर अभिव्यक्ति यदि कुमाऊंनी का अनुवाद भी साथ लिखती तो बेहतर होता

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