आज भले ही कुमाऊं में दिन के न जाने कितने गीत बनाये जाते हैं पर जन सरोकार से जुड़ा कोई गीत शायद ही कभी कोई बनता हो. राज्य में पिछले दो दशकों में बने गीत सुनकर लगता है कि जैसे प्रेम ही एकमात्र विषय रहा है जबकि उत्तराखंड के लोक गीतों की सबसे बड़ी विशेषता उनकी विस्तृत विषयवस्तु हुआ करती थी.
(1944 British India Coin)
वरिष्ठ संस्कृति विशेषज्ञ और साहित्यकार जुगल किशोर पेटशाली ने अपनी किताब ‘कुमांउनी लोकगीत’ एक छबीली को अपनी स्मृति की सबसे पुरानी छबीली बताया है. इस छबीली में अंग्रेजी सरकार के नाश होने की बात कहकर उनके द्वारा चलाये गये सिक्के का मजाक उड़ाया गया है –
अंग्रेजा सरकारा डबल में पड़ौ ट्वट
धन-धन अंग्रेजा, त्यर ढेपु में पड़ौ ट्वट
आग लागो सरकारा, डबल में पड़ो ट्वट
इंग्लैंड के राजा जार्ज VI के शासन काल में भारत बने सिक्कों का कुमाऊं में बड़ा मजाक बना. साल 1943 से 1947 के बीच चले इस सिक्के को कुमाऊं में छेदु डबल कहा गया. इस सिक्के को अंग्रेजों की खत्म होती शक्ति के तौर पर भी देखा गया.
(1944 British India Coin)
छेदु डबल एक पैसे के सिक्के को कहा जाता था. एक पैसे के इस सिक्के का का वजन 2 ग्राम होता था और गोलाई 21.32 मीमी हुआ करता था. इस सिक्के पर ब्रिटेन पर ब्रिटेन के शासक की तस्वीर की जगह एक बड़ा छेद बनाया गया था और सिक्के के एक तरफ केवल ब्रिटिश क्राउन बना हुआ था. सिक्के के बीच में छेद होने के वजह से कुमाऊं के लोक गायकों ने इसे छेदु डबल कहा.
ब्रॉन्ज के बने इस छेदु डबल की कीमत एक चौथाई आना होती थी. छेदु डबल मुम्बई, कलकत्ता और लाहौर की टकसालों में ढलता था. तीनों टकसालों में ढला सिक्का देखने में एक जैसा होता था. टकसाल की पहचान के लिए मुम्बई की टकसाल वाले सिक्के के नीचे अंग्रेजी में M, लाहौर वाली के नीचे L और कलकता की टकसाल में ढले सिक्के में कुछ भी नहीं लिखा जाता था.
(1944 British India Coin)
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