नैनीताल जिले के ओखलकांडा ब्लॉक में एक गाँव पड़ता है नाम है नाई. नाई गांव में अभी कुछ साल पहले ही सड़क पहुंची है. नैनीताल जिले के सबसे दुर्गम क्षेत्रों में आने वाली इस पट्टी के गांवों का आलू दुनिया के सबसे स्वादिष्ट आलू में गिना जाता है. नाई गांव में ही रहता है एक युवा किसान चन्दन सिंह नयाल, प्रकृति प्रेमी चंदन सिंह नयाल.
(Chandan Singh Nayal)
अपने आस-पास के क्षेत्र में पर्यावरण के क्षेत्र में काम करने के लिये लोकप्रिय हो चुके चंदन बताते हैं कि हमारे गाँव के आस-पास चीड़ का जंगल हुआ करता था जिसमें हर साल आग लगती थी. आग लगने से गांव वालों का नुकसान तो होता ही था साथ में हमेशा किसी अनहोनी का डर भी लगा रहता था. हमने गांव के आस-पास चौड़ी पत्ती वाले पेड़ लगाने शुरू किये जिसमें बांज, बुरुंश और काफल के पेड़ भी शामिल हैं. इस जंगल में आज 30 हजार से अधिक पेड़ हैं.
चन्दन बताते हैं कि पर्यावरण संरक्षण की अपनी मुहिम को शुरू करते समय उन्हें काफी परेशानी का सामना करना पड़ा. वह कहते हैं – पॉल्टेकनिक से डिप्लोमा करने के बाद मेरे साथ वाले सब नौकरी करने चले गये, पहले मैंने भी वही किया पर फिर नौकरी न जची तो मैं गाँव आ गया. यहाँ मैं खेती में लग गया और आस-पास के जंगलों में पेड़ लगाने लगा. तब वन विभाग वालों के पास जाता तो कोई एक पेड़ तक नहीं देता था. मैंने अपने घर में ख़ुद की एक नर्सरी बनाई जिसमें फलदार पेड़ के साथ जंगली पेड़ भी लगाये. तब मेरे को कई लोग पागल तक कह देते थे. आज मैं अपनी नर्सरी के पेड़ दूर गांव-गाँव तक ले जाता हूँ. अब तो वन विभाग भी मेरी खूब मदद करता है.
(Chandan Singh Nayal)
चन्दन ने पिछले कुछ वर्षों में नैनीताल और अल्मोड़ा जिले में लगभग 150 युवाओं की एक टीम भी तैयार की है. उनकी यह टीम स्कूलों में जाकर पर्यावरण पर बातचीत करती है वहां पौंधे लगाती है. चंदन का मानना है कि स्कूलों में छठी से लेकर आठवीं तक फिर से कृषि विषय को पढ़ाया जाना चाहिये. इस संबंध में वह मुख्यमंत्री को ज्ञापन भी सौंप चुके हैं.
मूल रूप से एक किसान परिवार से आने वाले चंदन के पिता भी किसानी ही करते थे. आय का साधन किसानी ही है, आजीविका के साधनों में आलू एक प्रमुख फसल है. इसके अलावा उन्होंने आढू, पूलम, खुमानी, माल्टा और अखरोट के बगीचे भी लगाये हैं. चंदन कहते हैं कि उत्तराखंड राज्य में कृषि ही रोजगार को मुख्य साधन हो सकती है. सरकार को चाहिये की इस ओर ठोस कदम उठाये.
(Chandan Singh Nayal)
जब हमने चंदन से पूछा की एक पहाड़ी किसान के सामने सबसे बड़ी समस्या कौन सी आती है तो वह कहते हैं कि हमारे लिये ट्रांसपोर्ट एक प्रमुख समस्या है गांव कच्ची पक्की सड़क से जुड़े होते हैं जिससे मंडी तक पहुँचने तक न केवल कीमत बड़ जाती है बल्कि कई बार फसल को भी नुकसान होता है. एक अन्य समस्या मंडी में उचित मूल्य का न मिलना है. फल के व्यपारी सीजन के टाइम पर औने-पौने दाम पर फल खरीदे जाते हैं जिसे आगे महंगे दामों में बेचा जाता है जबकि किसान को कुछ नहीं मिलता.
एक ख़ास बात जो चंदन के काम में आपको देखने को मिलती है वह है उनके और उनकी टीम द्वारा जंगलों में बनाये गये चाल-खाल और खनकी(नालियां). करीब सौ से ज्यादा चाल-खाल बना चुकी उनकी टीम ने लॉक डाउन के समय में ही 20 चाल-खाल का निर्माण किया. पिछले वर्ष बनाये गये चाल-खाल में आप संरक्षित जल देख सकते हैं.
चन्दन और उनकी टीम के काम से जुड़ी कुछ तस्वीरें देखिये :
पर्यावरण संरक्षण से जुड़े इस युवा किसान को भविष्य के लिये काफल ट्री टीम की ओर से अनेक शुभकामनाएं.
(Chandan Singh Nayal)
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1 Comments
कमल लखेड़ा
सलाम है चंदन सिंह नयाल जी जैसे कर्मठ और उत्तराखण्ड प्रेमी को जिन्होंने प्रदेश को जीवित रखा है ।