14 जनवरी, 1921 का वो ऐतिहासिक दिन था जब बागेश्वर में उत्तरायणी पर्व के अवसर पर कुली बेगार को खत्म करने की शुरुआत हुई. सरयू और गोमती के संगम पर इस आन्दोलन का उदघोष हुआ. तब तत्कालीन जिलाधिकारी द्वारा पं. हरगोबिन्द पंत, लाला चिरंजीलाल और बद्री दत्त पाण्डे को नोटिस थमा दिया लेकिन इसका कोई असर उन पर नहीं हुआ, उपस्थित जनसमूह ने सबसे पहले बागनाथ जी के मंदिर में जाकर पूजा-अर्चना की और लगभग चालीस हजार लोगों का जुलूस सरयू बगड़ की ओर चल पड़ा.
(Utraayani Scam 2022 Bageshwar)
जुलूस में सबसे आगे झंडे में लिखा था कुली बेगार बन्द करो. सरयू बगड़ में सभा को सम्बोधित करते हुये बद्रीदत्त पांडे ने जनता के साथ शपथ लेकर कहा कि आज से कुली उतार, कुली बेगार, बरदायिस नहीं देंगे. शंख ध्वनि और भारत माता की जय के नारों के बीच कुली रजिस्टरों को फाड़कर संगम में प्रवाहित कर दिया गया. तब अल्मोड़ा का तत्कालीन डिप्टी कमिश्नर डायबल भीड़ में मौजूद था, उसने भीड़ पर गोली चलानी चाही, लेकिन पुलिस बल कम होने के कारण वह इसे मूर्त रूप नहीं दे पाया.
डिप्टी कमिश्नर डायबल तो अब नही रहा लेकिन उसके वंशज गाहे-बगाहे अभी भी जिंदा हो उसके पगचिन्हों पर चलते नजर आ ही जाते हैं. कुछ ऐसा ही एक मामला अभी उत्तरायणी मेले को लेकर सामने आया है. वर्ष 2021 में जिले के ‘हाकिम’ ने अदृश्य उत्तरायणी मेला कराया. जिसमें न बाज़ार सजा, न भीड़ जुटी, फिर भी उत्तरायणी मेले के नाम पर लाखों रूपये उड़ा दिए गए. बिना मेले के ही रू 16,78,315.00 खर्च कर दिए गए.
(Utraayani Scam 2022 Bageshwar)
कोरोना के कारण 2020 और 2021 लगातार दो वर्ष से उत्तरायणी मेला नहीं हुआ. वर्ष 2022 में कोरोना की लहर कुछ थमी थी तो मेले के आयोजन को रणनीति बननी शुरू हुवी. 26 दिसम्बर 2021 को बागेश्वर में उत्तराणी मेले को लेकर विकास भवन सभागार में हुई बैठक में मेले को आकर्षित और भव्य बनाने का निर्णय लिया गया. शिव के सभी गुणों को अपने में आत्मसात करने वाले शिव भक्त तत्कालीन जिलाधिकारी विनीत कुमार ने मंद-मंद मुस्कुराते हुए कहा कि उत्तरायणी मेला तो बागेश्वर की पहचान हुई.
शिव मंदिर के साथ ही सभी मंदिरों को फूलों और विद्युत मालाओं से सजाकर मेले को भव्य रूप दिया जाएगा ताकि बाहर से आने वाले लोग यहां से अच्छा संदेश लेकर जाएं. उन्होंने अपनी ईच्छा जाहिर की कि अंग्रेज भी यदि मेले में आएं तो कुली बेगार को जान सकें. झोड़ा, चांचरी, छपेली भी होगा. सरकार के अच्छे कारनामों की सभी विभाग नुमाइशखेत में स्टाल लगाएंगे. लोक निर्माण विभाग नगर की सड़को को मेले की अवधि तक मक्खन की तरह रखेगा. बाद में चाहे जो करे. सभी ही आंखें बंद कर लेने वाले हुवे.
अरे! बुरा हो इस कोरोना का जिसने उत्तरायणी पर ग्रहण लगा दिया. हैरान परेशान जिले के हाकिम ने फिर से 8 जनवरी 2022 को उत्तरायणी मेले को लेकर जनप्रतिनिधियों और व्यापारियों की बैठक ले बताया कि सब स्यापा हो गया है. 16 जनवरी तक कोरोना ने सब बंद करा दिया है. अब उत्तरायणी मेला नहीं होगा. मेले को व्यवस्थित करने के नाम पर चुपचाप लाखों के वारे-न्यारे कर लिए गए.
पत्रकार राजकुमार सिंह परिहार ने जब इस बारे में आरटीआई में सूचना मांगी तो बड़े ही चौंकाने वाले तथ्य सामने आए. उत्तरायणी मेले के नाम पर हाकिम समेत कईयों ने लाखों उड़ा लिए. वर्ष 2021 की अदृश्य उत्तरायणी मेले में सुरक्षा के लिए रू 9,28,315.00 के 15 स्थानों पर अदृश्य 18 सीसीटीवी कैमरे लगाये गए. वहीं मेला स्थान पर एक एलईडी प्रोजेक्टर भी लगाया गया जिसमें 7,50,000.00 रू खर्च कर दिए गए. अब इस सबमें हम क्यों अंदाजा लगाए कि कितनी बड़ी वित्तीय अनिमित्ता हुई. जब मंच ही नही सजा तो एलईड़ी में क्या और किसे दिखाया गया?
अब यह तो हाकिम ही जाने या उनके मुलाजिम ही जाने. अदृश्य अत्तरायणी मेले के बारे में बागेश्वर के जनप्रतिनिधि व जनता को कानों-कान खबर नही और जिले के हाकिम सरकारी धन को शिवबूटी के सहारे बड़े ही प्यार से ठिकाने लगा गये.
(Utraayani Scam 2022 Bageshwar)
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