Featured

ऊखीमठ: भगवान केदारनाथ और मदमहेश्वर का शीतकालीन प्रवास

ऊखीमठ गढ़वाल मंडल के रुद्रप्रयाग जिले का एक छोटा सा क़स्बा है. ऊखीमठ मन्दाकिनी नदी के तट पर बसा है. यह रुद्रप्रयाग चौपटा मार्ग पर रुद्रप्रयाग से 40 किमी की दूरी पर बसा है.

ऊखीमठ में पौराणिक काल का ओंकारेश्वर नामक शिव मंदिर भी है जिसमें भगवान केदारनाथ और मदमहेश्वर का शीतकालीन प्रवास है. इन दोनों ही मंदिरों के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाते हैं, इस दौरान छह माह के लिए उनकी पूजा-अर्चना इसी मंदिर में की जाती है. यह भव्य मंदिर अपनी विशालता और बेहतरीन वास्तुकला के लिए पहचाना जाता है.

मंदिर के भीतर बद्रीनाथ, तुंगनाथ, केदारनाथ, ओंकारेश्वर, ऊषा-अनिरुद्ध, मांधाता के साथ तीनों युगों की मूर्तियाँ विराजमान हैं. यहाँ सोने की पंचमुखी शिव प्रतिमा, चांदी का घंटा और पार्वती की भी मूर्तियाँ हैं.

यह भी मान्यता है कि बाणासुर की बेटी ऊषा द्वारा यहाँ पर एक मठ की स्थापना करायी गयी, तभी से इसे ऊषामठ के नाम से जाना गया. यही ऊषामठ लोकभाषा में ऊखीमठ कहा जाने लगा.

ऊखीमठ से कुछ ही दूरी पर लमगौड़ी में एक किले के अवशेष भी पाए जाते हैं जिसे लोग बाणासुर का किला बताते हैं.

पौराणिक मान्यता के अनुसार यहाँ ऊषा का निवास था. भगवान कृष्ण के पुत्र अनिरुद्ध से ऊषा का प्रेम विवाह भी यहीं पर संपन्न हुआ था. कहा जाता है की ऊषा अपने महल से मन्दाकिनी पार गुप्तकाशी में भगवती पार्वती से विद्या ग्रहण करने आया करती थी.

पौराणिक मान्यता के अनुसार महाभारत काल में पांडवों द्वारा ऊखीमठ में ही स्वयंभू शिवलिंग की पूजा, उपासना की गयी थी. कहते हैं महापंथ का रास्ता भी ऊखीमठ से ही होकर जाता है.

केदारनाथ की यात्रा के साथ ही ऊखीमठ की यात्रा भी जरूरी मानी गयी है. केदारखंड के पुजारियों का निवास स्थान तथा मंदिर समिति का मुख्यालय भी ऊखीमठ में ही है.

जाड़ों के वक़्त केदारनाथ और मध्यमहेश्वर की डोलियाँ भव्य शोभा यात्रा के साथ लाकर ओंकारेश्वर मंदिर में स्थापित की जाती है.

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Sudhir Kumar

Recent Posts

उत्तराखंड में सेवा क्षेत्र का विकास व रणनीतियाँ

उत्तराखंड की भौगोलिक, सांस्कृतिक व पर्यावरणीय विशेषताएं इसे पारम्परिक व आधुनिक दोनों प्रकार की सेवाओं…

1 day ago

जब रुद्रचंद ने अकेले द्वन्द युद्ध जीतकर मुगलों को तराई से भगाया

अल्मोड़ा गजेटियर किताब के अनुसार, कुमाऊँ के एक नये राजा के शासनारंभ के समय सबसे…

5 days ago

कैसे बसी पाटलिपुत्र नगरी

हमारी वेबसाइट पर हम कथासरित्सागर की कहानियाँ साझा कर रहे हैं. इससे पहले आप "पुष्पदन्त…

5 days ago

पुष्पदंत बने वररुचि और सीखे वेद

आपने यह कहानी पढ़ी "पुष्पदन्त और माल्यवान को मिला श्राप". आज की कहानी में जानते…

5 days ago

चतुर कमला और उसके आलसी पति की कहानी

बहुत पुराने समय की बात है, एक पंजाबी गाँव में कमला नाम की एक स्त्री…

5 days ago

माँ! मैं बस लिख देना चाहती हूं- तुम्हारे नाम

आज दिसंबर की शुरुआत हो रही है और साल 2025 अपने आखिरी दिनों की तरफ…

5 days ago