अमेरिकी सीनेटर जॉन मैकेन की कल शनिवार को ब्रेन कैंसर से मृत्यु हो गयी. वे 2008 में अमेरिका में राष्ट्रपति पद के लिए रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार थे. इस चुनाव में उन्हें बराक ओबामा ने परास्त किया था.
29 अगस्त 1936 को जन्मे मैकेन और डोनाल्ड ट्रम्प के बीच की राजनैतिक दूरियों की कड़वाहट उनकी मृत्यु के बाद सामने आ रही हैं. जहाँ एक तरफ दुनिया भर के नेताओं और राष्ट्राध्यक्षों के शोक सन्देश आते रहे वहीं ट्रम्प ने फकत एक रस्मी ट्वीट भर की और गोल्फ खेलने चले गए. व्हाईट हाउस से भी इस बाबत कोई वक्तव्य जारी नहीं हुआ.
कुछ माह पूर्ण मैकेन ने सार्वजानिक बयान जारी कर कहा था कि वे चाहेंगे कि उनके अंतिम संस्कार के लिए डोनाल्ड ट्रम्प को आमंत्रित न किया जाय. वहीं जॉर्ज बुश को, जिन्होंने 2000 के राष्ट्रपति पद में रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार के नामांकन के दौर में मैकेन को पछाड़ा था, उनके अंतिम संस्कार पर होने वाले समारोह में वक्ता के तौर पर बुलाया गया है. ऐसा ही निमंत्रण बराक ओबामा के पास भी पहुंचा है. अंतिम संस्कार मैरीलैंड स्थित अमेरिका की युनाइटेड स्टेट्स नेवल अकेडमी में होना है.
ट्रम्प और मैकेन के रिश्तों की कड़वाहट का स्रोत वियतनाम युद्ध में निहित है. मैकेन ने उस युद्ध में नेवी पायलट की हैसियत से हिस्सा लिया था जिसमें उनके जहाज को मार गिराया गया था और वे बुरी तरह घायल हुए थे. इसके बाद उन्हें पांच साल हनोई की एक जेल में युद्धबंदी के तौर पर रखा गया था और अनेक यन्त्रणाएं दी गयी थीं. उनके पास जल्दी रिहा होने का प्रस्ताव आया था जिसे उन्होंने अपने मान सम्मान और और अपने अन्य युद्धबंदी साथियों के साथ एका दिखाने की गरज से ठुकरा दिया था.
वहीं इस युद्ध में ट्रम्प को वियतनाम युद्ध के दौरान दरख्वास्त देने पर सेवा से पांच बार मोहलत दी गयी थी. एक बार उन्होंने पैर की मामूली चोट का हवाला देकर छुट्टी हासिल की थी. ट्रम्प ने 2016 के राष्ट्रपति-अभियान में एक मीटिंग के दौरान आयोवा में दिए गए अपने भाषण में कहा था – “मैकेन कोई वॉर-हीरो नहीं हैं. वे वॉर हीरो इसलिए बताये गए थे कि उन्हें पकड़ लिया गया था. मुझे ऐसे लोग पसंद नहीं जिन्हें पकड़ लिया जाता है!”
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