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3 Comments

  1. राघव

    अबे मूर्खों, मुस्लिमों में सुहाग नाम की कोई चीज होती भी है ? वहाँ शादी केवल अनुबंध होता है और अनुबंध में आत्मीयता नाम का कोई विचार नहीं होता । फर्जी लेख से किसे बेवकूफ बना रहे हो ।

  2. बबिता

    यह लेख कहता है कि 16 वीं सदी में नथ की शुरआत हुई फिर अंत में कहता है कि आयुरवेद में लिखा है नक छिगवाना। साफ है लेखक खुद पढ़ा लिखा नहीं है। ये किसी साजिश के तहत गढवाली परंपराओँ को कमतर करने की कोशिश है। हो सकता है लेखक वामपंथी हो, क्योंकि ये लोग ही ऐसी अधकचरा ज्ञान रखते हैं और खुद एक्सपोज होते है। आयुरेवद खुद हजारो साल पुराना है।

  3. मनीष

    लगता है लेखक महोदय पुरातन काल से जिंदा हैं और उन्हें सब कुछ पता है, भारत की परम्पराएं भी इन्ही के सामने शुरू हुई।
    ऐसे लेख पढ़ कर तो लगता है कि लेखक को खुद ही नहीं पता है कि वह क्या बोल रहा है। शुरुआत मे बहुत अच्छे लेख आते थे पहाड़ से जुड़ी चीजों को बताते थे पर अब ऐसे विश्लेषण करके लेख लिखते हैं जैसे अंतर्यामी होंगे, ये पता नहीं कौन सी पढ़ाई करके लेख छाप रहे हैं।

    पता नहीं लोगों को यह कब समझ आएगा कि गूंगे हिने का अर्थ यह नहीं होता कि सामने वाला सोच भी नहीं सकता।

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