आज हर घर में अनुच्छेद 370 और कश्मीर मामलों के एक्सपर्ट बैठे हुए हैं. कोई कश्मीर से लेकर लाहौर तक प्लॉट ख़रीदने की बात कर रहा है तो कोई कश्मीर में ससुराल तलाश रहा है. मुस्लिमों को देश की तरक़्क़ी में रोड़ा समझने वाले भी इतने अति-उत्साहित हैं कि अन्तर्धार्मिक विवाह करने को भी तैयार हैं.
सोशल मीडिया में प्लॉटों की कटिंग धड़ल्ले से हो रही है. ऐसा लग रहा है जैसे जम्मू-कश्मीर को प्रॉपर्टी डीलरों से बचाने के लिए वहां 370 लगाई गयी थी. अब जब 370 हटाने का ऐलान हुआ है तो उत्तर भारत का हर परिवार कश्मीर में गर्मियों की छुट्टियॉं बिताने के अपने 70 साल के सपने को टू बी.एच.के. का प्लॉट ख़रीद के पूरा करने के लिए तैयार बैठा है. इन सबको लग रहा है कल से कश्मीर में हर 500 मीटर की दूरी पर एक प्रॉपर्टी डीलर बैठेगा और प्लॉट, प्लॉट, प्लॉट चिल्लाएगा.
अनुच्छेद 370 भी सोशल मीडिया के धुरंधरों का ज्ञान देखकर कोने में दुबक के बैठा है और आश्चर्यचकित हो रहा है कि मुझमें इतना कुछ समाया था और इतने सालों तक मुझे ही इसका इल्म नहीं रहा. 370 हटाने को मास्टरस्ट्रोक कहने वालों की भी बाढ़ आई हुई है. बॉल अभी हवा में ही है. बाउन्ड्री के उस पार गिरेगी या इस पार ही लपक ली जाएगी कोई नही जानता लेकिन सोशल मीडिया धुरंधरों द्वारा उसको सिक्सर घोषित किया जा चुका है.
भाजपा समर्थक 370 को कांग्रेस व अन्य पार्टियों के समर्थकों को चिढ़ाने के लिए लॉलिपाप की तरह चाट रहे हैं. उन्हें इस निर्णय के सही-ग़लत या अंतिम परिणामों से कोई मतलब नही है. वो यह सवाल पूछने के पक्ष में बिल्कुल नहीं हैं कि आख़िर कश्मीर के अंदर मौजूदा हालात क्या हैं? वहां फ़ोन सेवाएं और इंटरनेट क्यों बंद है? मीडिया को क्यों वहां कवरेज करने नहीं दिया जा रहा? आख़िर सरकार कश्मीरियों की सुरक्षा को लेकर कोई बयान क्यों नही दे रही? अगर हालात बिगड़ते हैं ज़िम्मेदारी किसकी होगी? उनका ध्यान सिर्फ कश्मीर में होने वाली प्लॉटिंग पर है.
कश्मीर से बाहर रह रहे छात्र व कर्मचारी अपने घर वालों से संपर्क न होने की वजह से काफ़ी परेशान हैं. यहाँ आम दिन में अगर बच्चे को घर वापस आने में 1 घंटा देरी हो जाए तो घरवाले दस बार कॉल कर के पूछने लगते हैं. कश्मीर में तो कल से ही फ़ोन सेवाएँ स्थगित हैं और हालात ऐसे कि किसी को कोई ख़बर नही. ऐसी स्थिति में उन कश्मीरी छात्रों की पीड़ा को समझने की जगह कुछ लोग उन्हें देखकर ऐसी प्रतिक्रिया दे रहे हैं जैसे 370 इन्हीं की वजह से लगी थी और आज हटाने का फ़रमान आया है तो पहले जम के इन्हें ही चिढ़ा लिया जाए.
हर 25-30 मिनट में जब कोई कश्मीरी लड़का घरवालों के हाल-चाल जानने के लिए नंबर मिलाता है और नंबर नही लगता तो उसके दिल की धड़कने कैसे बढ़ती होंगी हमें सोचना चाहिये. हमें इंसानी रूप से संजीदा होना चाहिये. यह फ़ैसला कितना सही या ग़लत है इसकी समीक्षा तो समय आने पर हो ही जाएगी लेकिन हमें कश्मीरियों के साथ खड़े रहकर उनका हौसला बढ़ाना चाहिये और उनकी सुरक्षा पुख्ता हो इस बावत सरकार से सवाल भी पूछने चाहिये. कश्मीर तभी तक ज़िंदा रहेगा जब तक कश्मीरी और कश्मीरियत ज़िंदा रहेंगे.
नानकमत्ता (ऊधम सिंह नगर) के रहने वाले कमलेश जोशी ने दिल्ली विश्वविद्यालय से राजनीति शास्त्र में स्नातक व भारतीय पर्यटन एवं यात्रा प्रबन्ध संस्थान (IITTM), ग्वालियर से MBA किया है. वर्तमान में हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के पर्यटन विभाग में शोध छात्र हैं.
काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें
2 Comments
रक्षित
जोशी जी ऐसा वैसा कुछ नहीं होने वाला जैसी आपकी आशंकाएं हैं। अगर घर मे रहेंगे तो कोई नहीं निकाल कर मारने वाला लेकिन बाहर निकल कर पत्थरबाजी गोली बाजी करेंगे तो अल्लाह को प्यारे होने में कोई शक नहीं वहां 72 हूरें उनका इन्तजार कर रही है।
जहर का तो इलाज जहर ही है। कश्मीरी छात्रों को इतना भोला भी न समझे जहां पढ़ाई करते है वहां रहने वाले लोगों से इनके बारे में जानकारी हासिल कर लें । वो पढ़ाई कम और देश विरोधी नारेबाजी , हुड़दंग, पाकिस्तान परस्ती नारे लगा कर आसमान सिर पर उठाए रहते हैं।
इनके साथ वैसा कुछ नही होने वाला जैसा कश्मीरी पंडितों के साथ हुआ। वैसे आप पंडित ही हो या उसके भेष में कुछ और?
Rofed
Kashmiri bachhe jo ghar se dur h o baat ni kr paare h krke to aapne bataya bt jo log waha ki suraksha m lage h o ghar m baat ni kr paare h…jo kashmir ki suraksha krte krte na jane kb shahid ho gye….unke bare m v bata dete to behtar hota…