Featured

श्रद्धांजलि : बौद्ध भिक्षु थिच नात हान की 20 सूक्तियां

अगर आप बर्तन धोने जैसे नियमित काम को करते हुए भी अपनी सांस पर ध्यान दे सकते हैं, तो समझिए कि आपने जीवन के सार को पा लिया. ऐसा कहना था वियतनामी बौद्ध भिक्षु थिच नात हन का, जिनका 95 वर्ष की आयु में शनिवार की रात देहांत हो गया. पश्चिम में माइंडफुलनेस की अवधारणा को लोकप्रिय बनाना उनका दुनिया को सबसे बड़ा योगदान कहा जाएगा. उन्होंने करीब 130 किताबें लिखीं जिनकी दुनिया भर में करोड़ों प्रतियां बिक चुकी हैं. आज इस विलक्षण व्यक्तित्व को याद करते हुए आपके लिए उनकी 30 सूक्तियां दे रहा हूं. इन्हें पढ़ते हुए आप निश्चय ही अपने मन में प्रेम और शांति को उतरते महसूस करेंगे क्योंकि इन्हीं दो चीजों के प्रचार में थिच नात हान ने अपना पूरा जीवन समर्पित किया.

1.          चलते हो तो ऐसे चलो कि जैसे तुम अपने पैरों से पृथ्वी को चूम रहे हो.

2.         चीजों को जाने देना, उन्हें पकड़कर न बैठे रहना हमें आजादी देता है और खुश रहने के लिए सबसे जरूरी आजादी ही है. अगर हम अपने दिल में किसी भी चीज- गुस्सा, घबराहट, निराशा को पकड़े रहते हैं, तो हम आजाद नहीं हो सकते.

3.          चूंकि तुम अभी जीवित हो इसलिए कुछ भी संभव है.

4.          भावनाएं हवादार आकाश में बादलों की तरह आती-जाती हैं. बोधपूर्ण होकर सांस लेना ही मेरा सहारा है.

5.          बहुत लोगों को लगता है कि उत्तेजना ही खुशी हैलेकिन जब आप उत्तेजित होते हैं तब शांत नहीं होते. सच्चा आनंद शांत होने में है.

6.          सांस लेते हुए मैं शरीर और मन को शांत करता हूं. सांस छोड़ते हुए मैं मौजूदा क्षण में बने रहते हुए मुस्कराता हूं. मैं जानता हूं कि यही इकलौता क्षण रहता है मेरे पास.

7.          अगर तुम किसी से प्रेम करते हो, पर उसके साथ समय नहीं गुजारते, तो यह सच्चा प्रेम नहीं है.

8.          मेरे कर्म ही मेरी सच्ची संपत्ति है.

9.          अगर हम चाहते हैं कि चीजें हमारे सामने खुलें, तो हमें उनके बारे में अपने विचारों को त्यागना होगा.

10.     हमारा अपना जीवन ही हमारा संदेश होना चाहिए.

11.     वर्तमान क्षण हमेशा ही खुशियों और आनंद से भरा होता है. अगर आप सजग और सतर्क हैं, तो आप जरूर महसूस करेंगे.

12.     अपने शरीर को स्वस्थ बनाए रखना पूरे ब्रह्माांड- पेड़ों, बादलों, हर चीज के प्रति हमारी कृतज्ञता की अभिव्यक्ति है.

13.     समझने का अर्थ है अपने ज्ञान से मुक्त होना है.

14.     जब आप यह देख पाओ कि आपके दुश्मन को भी दर्द हो रहा है, तब माना जाएगा कि आप में अंतर्दृष्टि जन्म ले चुकी है.

15.     अनस्थिरता का शुक्रिया कि दुनिया में सब कुछ संभव है.

16.     सच्चे प्रेम में आप मुक्त हो जाते हो.

17.     अगर हम शांत हैं, अगर हम आनंद से भरे हैं, तो हम एक फूल की तरह मुस्कराते हुए खिल सकते हैं और हमारी शांति से हमारे परिवार समेत पूरे समाज को लाभ मिल सकता है.

18.     यह एक तथ्य है कि जब आप दूसरे को सताओगे तो वह आपको और ज्यादा सताने की कोशिश करेगा क्योंकि इसी तरह उसे राहत मिलेगी. नतीजतन दोनों पक्षों की तकलीफें बढ़ेंगी.

19.     जब आप किसी से प्रेम करते हो, तो आपको उसे अपनी सबसे अच्छी चीज देनी होती है. हम किसी को सबसे अच्छी चीज के रूप में अपनी संपूर्ण उपस्थिति दे सकते हैं.

20.     दूसरों की पीड़ा से अवगत रहें. उसे देखें, महसूस करें और सुनें.

21.     निराशा या उम्मीद के रूप में चीजों को देखने से बात नहीं बनती. असली चुनौती वास्तविकता को देखने की है. चीजें जैसी हैं उन्हें हूबहू वैसा ही देखने की.

22.     कहा तो यह जाता है कि ईश्वर ने अपनी छवि के रूप में इंसान को बनाया है, लेकिन असल में ऐसा भी हो सकता है कि इंसान ने अपनी छवि के रूप में ईश्वर को बनाया है.

23.     चीजों के उपभोग से आनंद नहीं जन्म लेता.

24.     आजादी हमें किसी दूसरे से नहीं मिलती. हमें उसे नित्य अभ्यास से खुद पैदा करना पड़ता है. आपको हर कदम पूरी सजगता से लेने से, हर सांस पूरे बोध से लेने, पूरे बोध से छोड़ने से कोई नहीं रोक सकता.

25.     भविष्य का खयाल रखने का सर्वोत्तम तरीका यह है कि हम अपने वर्तमान का पूरा खयाल रखें.

26.     वर्तमान क्षण को छूते हुए ही हम जान पाते हैं कि वह अतीत का बना है और भविष्य को जन्म दे रहा है.

27.     दूसरे लोगों के ऐक्शन उनके अपने दर्द की वजह से जन्म लेते हैं, आपको तकलीफ पहुंचाने की मंशा से नहीं.

28.     हर व्यक्ति अपने में एक पूरी दुनिया है खोजे जाने के लिए.

29.     बिना समझ के प्रेम का कोई अर्थ नहीं.

30.     प्रेम किए जाने का अर्थ है कि आपके अस्तित्व को अर्थ दिया जा रहा है.

इसे भी पढ़ें:  खुद का जितना ध्यान रखोगे, दूसरों का उतना बेहतर ध्यान रख पाओगे

लेखक के प्रेरक यूट्यूब विडियो देखने के लिए कृपया उनका चैनल MindFit सब्सक्राइब करें

कवि, पत्रकार, सम्पादक और उपन्यासकार सुन्दर चन्द ठाकुर सम्प्रति नवभारत टाइम्स के मुम्बई संस्करण के सम्पादक हैं. उनका एक उपन्यास और दो कविता संग्रह प्रकाशित हैं. मीडिया में जुड़ने से पहले सुन्दर भारतीय सेना में अफसर थे. सुन्दर ने कोई साल भर तक काफल ट्री के लिए अपने बचपन के एक्सक्लूसिव संस्मरण लिखे थे जिन्हें पाठकों की बहुत सराहना मिली थी.

हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें: Kafal Tree Online

Support Kafal Tree

.

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Kafal Tree

Recent Posts

अंग्रेजों के जमाने में नैनीताल की गर्मियाँ और हल्द्वानी की सर्दियाँ

(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में आज से कोई 120…

2 days ago

पिथौरागढ़ के कर्नल रजनीश जोशी ने हिमालयन पर्वतारोहण संस्थान, दार्जिलिंग के प्राचार्य का कार्यभार संभाला

उत्तराखंड के सीमान्त जिले पिथौरागढ़ के छोटे से गाँव बुंगाछीना के कर्नल रजनीश जोशी ने…

2 days ago

1886 की गर्मियों में बरेली से नैनीताल की यात्रा: खेतों से स्वर्ग तक

(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में…

3 days ago

बहुत कठिन है डगर पनघट की

पिछली कड़ी : साधो ! देखो ये जग बौराना इस बीच मेरे भी ट्रांसफर होते…

4 days ago

गढ़वाल-कुमाऊं के रिश्तों में मिठास घोलती उत्तराखंडी फिल्म ‘गढ़-कुमौं’

आपने उत्तराखण्ड में बनी कितनी फिल्में देखी हैं या आप कुमाऊँ-गढ़वाल की कितनी फिल्मों के…

4 days ago

गढ़वाल और प्रथम विश्वयुद्ध: संवेदना से भरपूर शौर्यगाथा

“भोर के उजाले में मैंने देखा कि हमारी खाइयां कितनी जर्जर स्थिति में हैं. पिछली…

1 week ago