बिटिया कैसे साध लेती है इन आँसुओं को तू
Posted By: Girish Lohanion:
कहने को तो वीरेन डंगवाल हिंदी के एम.ए.पीएच.डी और लोकप्रिय, बढ़िया प्राध्यापक थे, एक बड़े दैनिक के सम्पादक भी रहे, लेकिन इस सब से जो एक चश्मुट छद्म-गंभीर छवि उभरती है उससे वह अपने जीवन और कृत... Read more
धरती मिट्टी का ढेर नहीं है अबे गधे
Posted By: Kafal Treeon:
वीरेन डंगवाल (Viren Dangwal) के बारे में मशहूर कवि/सम्पादक/आलोचक विष्णु खरे ने लिखा था: “लेकिन इससे बड़ी ग़लती कोई नहीं हो सकती कि हम वीरेन डंगवाल को सिर्फ कवियों, कलाकारों और मित्रों का... Read more
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