वनस्पति जगत से मैत्री सम्बन्ध बने, आस्था के प्रतीक रूप में जीवंत हुए. तुलसी, पीपल में जल चढ़ा तो उसकी जड़ों को मिलते रहा. पूजा भी हुई वृक्ष का संरक्षण भी हुआ. पेड़ के नीचे चबूतरे बने. विश्रा... Read more
एक जाति-बिरादरी के लोग एक दूसरे से जुड़े एक कतार में घर बनाते तो इसे बाखली कहा जाता. बाखली के सभी घरों की धुरी एक सी सीध में होती जिसमें पाथर बिछे होते. बाखली में मकान एक बराबर ऊंचाई के तथा... Read more
बड़ी मेहनत से बनती है पहाड़ की कुड़ी
पहाड़ में परंपरागत बने मकानों में स्थानीय रूप से उपलब्ध पत्थर, मिट्टी, लकड़ी का प्रयोग होता रहा. हवा और धूप के लिए दिशा ज्ञान या वास्तु का प्रयोग किया जाता रहा. मिट्टी की परख कर स्थान... Read more
विकास के साये में हमारी लोक थाती
विकास के साथ उपज रहे विनाश के खतरों से आगाह करते हुए यह चेतावनी बार बार दी जाती रही है कि स्थानीय संस्कृति लगातार अवमूल्यित हो रही, बरबाद हो चुकी है. इन्हें बनाये बचाये रखने के प्रयास... Read more
सीमांत उत्तराखंड में जाड़ संस्कृति व भाषा
जाड़ गंगा भागीरथी नदी की सबसे बड़ी उपनदी है. ग्यारह हजार फीट की ऊंचाई पर भैरोंघाटी में भागीरथी और जाड़ गंगा का संगम होता है. भैरोंघाटी में पच्चीस किलोमीटर भीतर माणा गाड़ माणा दर्रे के पश्चिम... Read more
कोई बताए मेरे महबूब को, मेरे पास प्याज की दौलत है
बड़ा बेदर्द है ये कमबख्त प्याज. हर जगह से गायब और जहां कहीं नमूदार तो जेबों में सुराख करने पे उतर आया. ठंड का मौसम. मुंह से भाप झड़ रही है. बाहर फिज़ाओं में नन्ही नन्ही बुंदनियां तपक रही हैं... Read more
शुमाखर की बहुचर्चित किताब है, “स्माल इस ब्यूटीफुल.” भारत जैसे विविधता भरे खेती -किसानी के माहौल के लिए इस किताब में अनुभव किये गए प्रयोग और इस्तेमाल की जा रही तकनीक उन लाखों किस... Read more
गंगोत्तरी हिमनद में गोमुख से निकलती है भागीरथी. यह हिंवल, नयार, पिंडर, नंदाकिनी व धौली के साथ अलकनंदा की प्रमुख सहायक है. भागीरथी नदी की मुख्य सहायक सरिता जाह्नवी, जलकुर एवं भिलंगना हैं. जा... Read more
लोहाघाट का मडुवा और थल-मुवानी का लाल चावल : सब मिलने वाला हुआ भगत जी की चक्की में
नैनीताल रोड में एम. बी. कॉलेज के दाएं दुर्गा सिटी सेंटर से आगे जगदम्बा मंदिर में आप अक्सर हाथ जोड़ते होंगे. अब आगे बढ़ फिर सीधे हाथ जाते रहिए. एक तरफ नहर कवरिंग तो बाएं हाथ छोटी मंझली कई कई... Read more
निर्धनता पर नोबल पुरस्कार
दुनिया में गरीबी है. सत्तर करोड़ लोग ऐसे हैं जिन्हें पेट भर भोजन आज भी नहीं मिलता. कंगाली उनका पीछा करती है. बदहाली उन्हें जीने नहीं देती. भूख उनकी सांसों में है, बीमारी तन में. मुफलिसी तंग... Read more
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