54,000 रुपये पकड़ो और चुपचाप हमारा कचरा उठाओ
एकाध करोड़ की नहीं यह पूरे 200 करोड़ रुपये की शादी थी. दक्षिण अफ्रीका में रहने वाले भारतीय मूल के गुप्ता परिवार ने उत्तराखंड सरकार के अनुरोध पर स्विट्ज़रलैंड जैसी जगहों के बजाय उत्तराखंड को... Read more
शादी में आये मेहमानों का मल बह रहा है औली में
यह तो होना ही था! उत्तराखंड में पर्यटन को बढ़ावा देने और सरकार की आय में बढ़ोत्तरी करने के नाम पर अब विख्यात हो चुकी जिस शादी के लिए औली के बुग्याल को किराए पर चढ़ा दिया गया था, वहां अब उसके... Read more
मजा बड़ी चीज है चचा! पहाड़ से हमें क्या लेना देना!
इस बार पुट्टन चाचा पहाड़ से वापस आए तो उनके कैमरे में गदेरों से ज्यादा धुंआ भरा था. फोन गैलरी में कहीं लंबा जाम लगा था तो कहीं जंगलों का मसान लगा था. (Uttarakhand Devastated by Silly Practic... Read more
केदारनाथ आपदा के छः साल बाद भी सबक न सीखने वाली उत्तराखंड सरकार को उमा भारती की यह बात सुननी चाहिये
आज 16 जून है. उत्तराखंड के इतिहास की एक ऐसी तारीख जिसे अगले कई सालों तक याद रखा जायेगा हो सकता है कि प्राकृतिक आपदा पर जब कभी भी बात की जाय तो इस तारीख का जिक्र हमेशा किया जाय. छः साल बाद भी... Read more
इन दिनों औली 200 करोड़ की शादी के चलते खबरों में है. उत्तराखंड के मुख्यमंत्री का तो यहां तक बयान सुनने में आ रहा है कि यह शादी विश्व मानचित्र पर औली को स्थान देगी. कोई मुख्यमंत्री को जाकर बता... Read more
Popular Posts
- हो हो होलक प्रिय की ढोलक : पावती कौन देगा
- हिमालयन बॉक्सवुड: हिमालय का गुमनाम पेड़
- भू कानून : उत्तराखण्ड की अस्मिता से खिलवाड़
- यायावर की यादें : लेखक की अपनी यादों के भावनापूर्ण सिलसिले
- कलबिष्ट : खसिया कुलदेवता
- खाम स्टेट और ब्रिटिश काल का कोटद्वार
- अनास्था : एक कहानी ऐसी भी
- जंगली बेर वाली लड़की ‘शायद’ पुष्पा
- मुसीबतों के सर कुचल, बढ़ेंगे एक साथ हम
- लोक देवता लोहाखाम
- बसंत में ‘तीन’ पर एक दृष्टि
- अलविदा घन्ना भाई
- तख़्ते : उमेश तिवारी ‘विश्वास’ की कहानी
- जीवन और मृत्यु के बीच की अनिश्चितता को गीत गा कर जीत जाने वाले जीवट को सलाम
- अर्थ तंत्र -विषमताओं से परिपक्वता के रास्तों पर
- कुमाऊँ के टाइगर : बलवन्त सिंह चुफाल
- चेरी ब्लॉसम और वसंत
- वैश्वीकरण के युग में अस्तित्व खोते पश्चिमी रामगंगा घाटी के परम्परागत आभूषण
- ऐपण बनाकर लोक संस्कृति को जीवित किया
- हमारे कारवां का मंजिलों को इंतज़ार है : हिमांक और क्वथनांक के बीच
- अंग्रेजों के जमाने में नैनीताल की गर्मियाँ और हल्द्वानी की सर्दियाँ
- पिथौरागढ़ के कर्नल रजनीश जोशी ने हिमालयन पर्वतारोहण संस्थान, दार्जिलिंग के प्राचार्य का कार्यभार संभाला
- 1886 की गर्मियों में बरेली से नैनीताल की यात्रा: खेतों से स्वर्ग तक
- बहुत कठिन है डगर पनघट की
- गढ़वाल-कुमाऊं के रिश्तों में मिठास घोलती उत्तराखंडी फिल्म ‘गढ़-कुमौं’