(पिछली क़िस्त – दिल्ली से तुंगनाथ वाया नागनाथ – 3) तभी, शेखर ने सामने उगी लैंटाना यानी कुरी की झाड़ी पर से उसके नन्हे, रंग-बिरंगे फूलों का छोटा-सा गुच्छा तोड़ा और आकर मेरी वास्कट की जेब पर सजात... Read more
2024©Kafal Tree. All rights reserved. Developed by Kafal Tree Foundation