उत्तराखण्ड के बीहड़ गाँव से दुनिया की सर्वश्रेष्ठ यूनिवर्सिटी तक ज्योति का सफ़र
उत्तराखण्ड के सीमांत जिले चमोली का एक छोटा सा कस्बा है देवाल. देवाल आसपास के गाँवों का ब्लॉक मुख्यालय तो है ही, यह सबसे लम्बी दूरी की हिमालयी यात्रा ‘नंदा राजजात’ का अहम् पड़ाव भी है. यही दे... Read more
भाव राग ताल नाट्य अकादमी द्वारा पिथौरागढ़ के लंदन फोर्ट में संस्कृत नाटक ‘स्वपनवासवदत्ता’ के हिंदी रूपांतरण का मंचन किया गया. महाकवि भास द्वारा रचित स्वपनवासवदत्ता नाटक का हिन्दी... Read more
ऊदा देवी पासी : 1857 के ग़दर की नायिका
‘बाबुल मोरा नैहर छूटो जाए’ जैसी कालजयी ठुमरी रचने वाले अवध के नवाब वाजिद अली शाह ने लखनऊ में गोमती किनारे ग्रीष्मकालीन आवास के तौर पर सिकन्दर बाग़ का निर्माण करवाया. बाग़ का नाम उनकी प्रिय बेग़... Read more
हाल ही में ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म एमएक्स प्लेयर में नयी मूवी रिलीज हुई है. पौराणिक कथाओं पर आधारित इस फिल्म का नाम है ‘कर्मा.’ फिल्म को दर्शकों ने काफी पसंद किया है. फिल्म 4 किरदारों के इर्द-गिर्... Read more
यूं तो आलू दुनिया में सबसे ज्यादा इस्तेमाल की जाने वाली सब्जियों में है लेकिन इसे वह इज्जत नहीं बख्शी जाती जिसकी हकदार ये है. माना जाता है कि इसका अपना कोई गुण और चरित्र नहीं है, ये हर सब्जी... Read more
उत्तराखण्ड के कई लोगों ने फिल्म, टेलीविजन और फैशन इंडस्ट्री में मुकाम हासिल किया है. देश की सीमाओं से बाहर भी उत्तराखण्ड की महिलाओं ने अपनी खूबसूरती का जादू बिखेरा है. इसी कड़ी में नया नाम ह... Read more
भाव राग ताल नाट्य अकादमी, पिथौरागढ़ द्वारा अपने यू ट्यूब चैनल से उत्तराखण्ड के लोक वाद्य कारीगरों के जीवन पर बनायीं गयी डॉक्यूमेंट्री फिल्म ‘लोक थात के प्रहरी’ को रिलीज किया गया है. भाव राग... Read more
नेहा उनियाल: उत्तराखण्ड की संस्कृति में आधुनिकता का रंग भरने वाली आर्टिस्ट
(मूल रूप से यमकेश्वर, पौड़ी-गढ़वाल की रहने वाली नेहा उनियाल बेहतरीन आर्टिस्ट हैं. हाल-फिलहाल देहरादून में रहने वाली नेहा उनियाल मंडाला, ऑरनामेंटल पैटर्न, डूडलिंग, हाइपररीयलिस्टिंग, कॉमिकल इल... Read more
सुनीता नेगी उत्तराखण्ड की राजधानी देहरादून में पुलिस मुख्यालय के यातायात निदेशालय में महिला कांस्टेबल के रूप में तैनात हैं. पुलिस के चुनौतीपूर्ण काम को निभाने के साथ वे शानदार पेंटिंग भी बना... Read more
बसंत के इस्तकबाल का त्यौहार है फूलदेई
ऋतुराज बसंत का स्वागत उत्तराखण्ड को देवभूमि के साथ उत्सवों की भी भूमि कहा जाय तो गलत नहीं होगा. यहाँ साल भर उत्सव, पर्व, त्यौहार, मेलों की धूम रहती है. बसंत के आगमन का स्वागत भी उत्तराखण्ड )... Read more
Popular Posts
- हो हो होलक प्रिय की ढोलक : पावती कौन देगा
- हिमालयन बॉक्सवुड: हिमालय का गुमनाम पेड़
- भू कानून : उत्तराखण्ड की अस्मिता से खिलवाड़
- कलबिष्ट : खसिया कुलदेवता
- खाम स्टेट और ब्रिटिश काल का कोटद्वार
- अनास्था : एक कहानी ऐसी भी
- जंगली बेर वाली लड़की ‘शायद’ पुष्पा
- मुसीबतों के सर कुचल, बढ़ेंगे एक साथ हम
- लोक देवता लोहाखाम
- बसंत में ‘तीन’ पर एक दृष्टि
- अलविदा घन्ना भाई
- तख़्ते : उमेश तिवारी ‘विश्वास’ की कहानी
- जीवन और मृत्यु के बीच की अनिश्चितता को गीत गा कर जीत जाने वाले जीवट को सलाम
- अर्थ तंत्र -विषमताओं से परिपक्वता के रास्तों पर
- कुमाऊँ के टाइगर : बलवन्त सिंह चुफाल
- चेरी ब्लॉसम और वसंत
- वैश्वीकरण के युग में अस्तित्व खोते पश्चिमी रामगंगा घाटी के परम्परागत आभूषण
- ऐपण बनाकर लोक संस्कृति को जीवित किया
- हमारे कारवां का मंजिलों को इंतज़ार है : हिमांक और क्वथनांक के बीच
- अंग्रेजों के जमाने में नैनीताल की गर्मियाँ और हल्द्वानी की सर्दियाँ
- पिथौरागढ़ के कर्नल रजनीश जोशी ने हिमालयन पर्वतारोहण संस्थान, दार्जिलिंग के प्राचार्य का कार्यभार संभाला
- 1886 की गर्मियों में बरेली से नैनीताल की यात्रा: खेतों से स्वर्ग तक
- बहुत कठिन है डगर पनघट की
- गढ़वाल-कुमाऊं के रिश्तों में मिठास घोलती उत्तराखंडी फिल्म ‘गढ़-कुमौं’
- गढ़वाल और प्रथम विश्वयुद्ध: संवेदना से भरपूर शौर्यगाथा