पंकज, पूरन और महेशदा तेजी से चल रहे थे. उनके पीछे कुछ दूरी पर संजय था और सबसे पीछे बेढब रकसेक को लादे मैं चल रहा था. मौसम खुशनुमा था तो मुझे अब चिंता नहीं थी कि हम दर्रे के पार बेदांग में कब... Read more
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