लॉकडाउन और घर वापसी – एक छोटी कहानी
– कहाँ जा रहे हो? Short Lockdown Story Umesh Tiwari Vishwas – घर वापस. – यहाँ क्या परेशानी है? – यहाँ खाने-पीने को नहीं मिल रहा है. – पैदल ही चले जाओगे? –... Read more
ज़िंदा गरीब औरत को तो मरा ही समझो डाक्साब!
सर्जिकल वार्ड सेवन में, जुलाई की उमस भरी बदबूदार दोपहर में, सीलन भरे अंडे के छिक्कल पर दरारों जैसी ब्रिटिश क़ालीन गुम्बद के आकार वाली छत के नीचे, ओवरसाइज्ड एप्रैन पहने पसीने से तर-ब-तर वह नय... Read more
रसमलाई का ज़ायका
अब से तुम्हारे साथ कहीं आना ही नही है… कहीं नहीं. शिखर होटल चौराहे से एनटीडी की ओर जाती लिंक रोड के एक रेस्तराँ के बाहर ये स्वर थे रौनक के . नीली जीन्स उस पर घुटनों तक लटकता बूटेदार गर... Read more
बेपरवाह बच्ची
बेपरवाह बच्ची -पद्मिनी अबरोल ”ये देख लो रश्मि मैडम, इस बच्ची का हाल ! मैंने तीन दिन पहले इसे अच्छे बच्चे की कॉपी फोटोस्टेट करवा के दी थी,मगर इसने इनका भी ये हाल कर दिया !” मैंने... Read more
कछुआ खरगोश की अल्मोड़िया कथा
पटवारी पद के सैकड़ों उम्मीदवार शारीरिक दमखम साबित करने के लिए दस किलोमीटर की दौड़ में हिस्सा ले रहे थे. वह भी एक उम्मीदवार था और कांखता-कराहता किसी तरह दौड़ रहा था. यह सोचकर वह हैरान था कि दौड़न... Read more
Popular Posts
- उत्तराखंड में सेवा क्षेत्र का विकास व रणनीतियाँ
- जब रुद्रचंद ने अकेले द्वन्द युद्ध जीतकर मुगलों को तराई से भगाया
- कैसे बसी पाटलिपुत्र नगरी
- पुष्पदंत बने वररुचि और सीखे वेद
- चतुर कमला और उसके आलसी पति की कहानी
- माँ! मैं बस लिख देना चाहती हूं- तुम्हारे नाम
- धर्मेन्द्र, मुमताज और उत्तराखंड की ये झील
- घुटनों का दर्द और हिमालय की पुकार
- लिखो कि हिम्मत सिंह के साथ कदम-कदम पर अन्याय हो रहा है !
- पुष्पदन्त और माल्यवान को मिला श्राप
- डुंगरी गरासिया-कवा और कवी: महाप्रलय की कथा
- नेहरू और पहाड़: ‘डिस्कवरी ऑफ इंडिया’ में हिमालय का दर्शन
- साधारण जीवन जीने वाले लोग ही असाधारण उदाहरण बनते हैं : झंझावात
- महान सिदुवा-बिदुवा और खैंट पर्वत की परियाँ
- उत्तराखंड में वित्तीय अनुशासन की नई दिशा
- राज्य की संस्कृति के ध्वजवाहक के रूप में महिलाओं का योगदान
- उत्तराखण्ड 25 वर्ष: उपलब्धियाँ और भविष्य की रूपरेखा
- आजादी से पहले ही उठ चुकी थी अलग पर्वतीय राज्य की मांग
- मां, हम हँस क्यों नहीं सकते?
- कुमाउनी भाषा आर्य व अनार्य भाषाओं का मिश्रण मानी गई
- नीब करौरी धाम को क्यों कहते हैं ‘कैंची धाम’?
- “घात” या दैवीय हस्तक्षेप : उत्तराखंड की रहस्यमयी परंपराएँ
- अद्भुत है राजा ब्रह्मदेव और उनकी सात बेटियों के शौर्य की गाथा
- कैंची धाम का प्रसाद: क्यों खास हैं बाबा नीम करौली महाराज के मालपुए?
- जादुई बकरी की कहानी
