शेरदा ‘अनपढ़’ की कविता मुर्दाक बयान
Posted By: Kafal Treeon:
जब तलक बैठुल कुनैछी, बट्यावौ- बट्यावौ है गेपराण लै छुटण निदी, उठाऔ- उठाऔ है गे(Sherda Anpadh Poem) जो दिन अपैट बतूँ छी,वी मैं हूँ पैट हौ,जकैं मैं सौरास बतूँ छी,वी म्यैर मैत हौ lमाया का मारगा... Read more
शेरदा अनपढ़ और नरेन्द्र सिंह नेगी की जनप्रतिनिधियों पर व्यंग्यात्मक टिप्पणी
Posted By: Sudhir Kumaron:
लगभग चौबीस सौ साल पहले जन्मे महान दार्शनिक अरस्तु द्वारा शासन सम्बन्धी व्यवस्था पर प्रतिपादित अपने तीन वर्गीकरण में से जनतांत्रिक शासन ही आज भी लोकप्रिय शासन माना जाता है. अब्राहम लिंकन ने ल... Read more
सुनिए शेरदा अनपढ़ की संगीतबद्ध कविता ‘को छै तू’
Posted By: Sudhir Kumaron:
इस तरह आने वाली पीढ़ी विरासत को संभालते हुए सम्मान देती है, आगे बढ़ाने में अपना योगदान देती है. शेरदा अनपढ़ की लोकप्रिय कविताओं में से एक है ‘को छै तू.’ करन जोशी उत्तराखण्ड के लोकगी... Read more
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