छिद्दा पहलवान वाली गली: शैलेश मटियानी की कहानी
पिछले कई वर्षों से, लगभग प्रत्येक मंगलवार को, वह हनुमान मन्दिर आता रहा है. अपनी सम्पूर्णता में सिन्दूर-तेल से सनी हुई हनुमानजी को विशाल मूर्ति उसे सदैव एक अवतार-पुरुष की-सी दिव्यता से अभिभूत... Read more
‘साधो, करमगती किन टारी…’ – मिरदुला कानी, सीढ़ी के पथरौटे पर बैठी, मंजीरा कुटफुटा रही थी – ‘कोस अनेक बिकट बन फैल्यो, भसम करत चिनगारी… साधो…... Read more
‘बिद्दू अंकल’ शैलेश मटियानी की प्रतिनिधि कहानी
लोग हमें गाँव में भी ‘बिद्दू’ ही पुकारते थे, दिल्ली शहर तो दिल्ली ही हुआ. यहाँ गाँव भनौरा, तहसील पट्टी, जिला-प्रतापगढ़, यू०पी० के न सिर्फ ये कि गरीब, बल्कि करीबन अनाथ गवई लरिका क... Read more
कहानी : मिसेज ग्रीनवुड
अल्मोड़ा के उत्तर की ओर सिंतोला वन पड़ता है. बाँज, देवदार, चीड़ और काफल के घने गाछों से घिरे सिंतोला वन में मिसेज ग्रीनवुड अपनी छोटी-सी ‘ग्रीनवुड कॉटेज’ में रहती हैं. मिसेज ग्रीन... Read more
शैलेश मटियानी की कहानी : उसने तो नहीं कहा था
राइफल की बुलेट आड़ के लिए रखी हुई शिला पर से फिसलती हुई जसवंतसिंह के बाएँ कंधे में धँसी थी, मगर फिर भी काफी गहरी चोट लग गई थी. उसकी आँखें इस वेदना से पथराकर यों घूम गई थीं, जैसे गोली खेलने म... Read more
शैलेश मटियानी की कहानी : बित्ता भर सुख
अपने इस नए कार्यक्षेत्र में आने के बाद उसे यह पहला बच्चा जनवाना है. परसों जब वह यहाँ पहुँची, शाम काफी गहरी हो चुकी थी. जहाँ से वह आई है, शहर नितांत छोटा-सा, मगर शहर की अन्य सुविधाओं के साथ,... Read more
आकाश कितना अनंत है
जो रिश्ता पिछली सर्दियों में तय हुआ, उसे तोड़ दिए जाने का निर्णय लिया जा चुका है. अब उसकी शादी दिल्ली-जैसे बड़े शहर में नौकरी करने वाले लड़के से होगी. जसवंती को ऐसा लग रहा है, सिर्फ इतना जान... Read more
एक शब्दहीन नदी: हंसा और शंकर के बहाने न जाने कितने पहाड़ियों का सच कहती शैलेश मटियानी की कहानी
‘माई डियर हंसा!’‘ले प्यारी, इस दफा तेरे आर्डर की मुताबिक, खुले पोस्टकार्ड की जगह पर, बंद इंगलैंड लेटर भेज रहा हूँ. हकीकत तो यही हुई कि लवलेटर जरा सेक्रिट किस्म की वस्तु ही... Read more
शैलेश मटियानी की जन्मतिथि पर भावपूर्ण स्मरण
दुख ही जीवन की कथा रहीक्या कहूँ आज जो नहीं कही निराला जी की ये पंक्तियाँ जितनी हिंदी काव्य के महाप्राण निराला के जीवन को उद्घाटित करती हैं उतनी ही हमारे कथा साहित्य में अप्रतिम स्थान रखने वा... Read more
शैलेश मटियानी से पहली मुलाकात
यह किताब मैंने 2001 में मटियानीजी की मृत्यु के फ़ौरन बाद लिखनी शुरू की थी और इसके न जाने कितने ड्राफ्ट तैयार किये. हर बार लगता था कि मैं जो लिखना चाहता था, उसे न लिखकर कुछ और लिखने लगता था.... Read more
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