भ्रष्टाचार की आचार संहिता
हमारे सामान्य राष्ट्रीय जीवन और दिनचर्या की छोटी-छोटी बातों में नैतिकता का हौवा खड़ा करके अपने को चमकाने वालों ने इस देश का वातावरण प्रदूषित कर छोड़ा है. अब भ्रष्टाचार को ही लें. कौन नहीं जानत... Read more
कुछ दिनों पहले अचानक हमें अपनी बुद्धि पर फिर से तरस आने लगा. यह कोई नई बात नहीं थी. किसी मनोचिकित्सक की शरण में जाना हमने जरूरी नहीं समझा. असल में साल छह महीने में एक बार ऐसा हो ही जाता है.... Read more
पिछला दरवाजा बड़ा चमत्कारी होता है. आगे के दरवाजे पर बैठा हुआ संतरी जिसे भीतर घुसने से रोक लेता है वह पिछले दरवाजे से पीछे घुस कर कुर्सी पर विराजमान हो जाता है. इसमें संतरी का कोई कसूर नहीं.... Read more
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