आवाज़ बहुत भारी थी वो. बहुत ही भारी. तमाम आवाज़ों के बीच जगह बनाकर भीतर जम गई. यूं कि जैसे आलती-पालथी मारे बैठ ही गई हो. बहुत मशक्कत से उठाने से भी न उठे. खासकर उस कंठ के लिए जो बहुत कोमल से... Read more
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