गुलज़ार की नज़्म ‘बादल ‘- 'कल सुबह जब बारिश ने आ कर खिड़की पर दस्तक दी थी नींद में था मैं... बाहर अभी अंधेरा था ' ये बारिश नूपुर पहन के आती है. अभी-अभी दिख रहा था... Read more
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